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नेहरू जैसे महान राष्ट्र भक्त और आजाद भारत के शिल्पी के आगे बौने हैं आज के नेता 

वाराणसी: पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और वैज्ञानिक सोच वाले ऐसे नेता थे, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण की जो आधारशिला रख्खी उसी बुनियाद पर आज एक मजबूत भारत की इमारत खड़ी हो पाई है। उक्त विचार ईंगलिसिया लाईन स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन के कार्यालय में नेहरू जी की 58 वीं पुण्य तिथि पर उनको श्रध्दासुमन अर्पित करने के लिये आयोजित विचार गोष्ठी में ब्यक्त किया गया।

नेहरू जैसे महान राष्ट्र भक्त और आजाद भारत के शिल्पी के आगे बौने हैं आज के नेता 

वक्ताओं आगे कहा कि आज का कोई  भी नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू के विशाल ब्यक्तित्व के आगे बौना जैसा दिखते हैं  , कदाचित इसी लिये उनके  दिवंगत होने के आधी सदी बाद भी उनके द्वारा देश बनाने  के तमाम ऐतिहासिक कार्यों  और उनके द्वारा देश के नवनिर्माण के  स्थापित किर्ति स्तम्भों के समकक्ष  पंहुचने की नाकाम कोशिश करने  वाले तथाकथित  नेताओं को नेहरू नाम का भूत  हमेशा डराता रहता है और उन्हें अपनी नाकामी छुपाने के लिये नेहरू नाम का ही सहारा लेना पड़ता है जरा सोचिये कि कितना विशाल और विविध आयामी स्वरूप  रहा होगा उस विश्व नायक का।

राष्ट्र  का नव निर्माण  करते  समय पंडित  जी ने देश की बहुलतावादी साझी संस्कृति का  हमेशा ध्यान रख्खा और उसी के सहारे  सामाजिक  समरसता को भी अक्ष्णु रख्खा ,वे अच्छी तरह जानते थे की शान्ति और सद्भावना के बिना देश का विकास सम्भव नहीं है।

वे ऐसे महान लोकतंत्र वादी नेता थे जो अपने विरोधियों  को भी बराबर का सम्मान  देते थे, क्यों कि उनकी दृष्टि में  स्वस्थ लोकतंत्र के लिये  स्वस्थ विपक्ष  संजीवनी समान होता  है, तो वहीं आज की निजामत और आज के हुक्मरानों को देखिये तो उनका आचरण ठीक इसके उलट है परन्तु हर बात में  बराबरी  नेहरू जैसे विश्व के महानतम नेता से करने का प्रयास करते रहते हैं।

बड़े-बड़े बांधों और कल कारखानों की स्थापना करके उन्हें भारत माता का  आधुनिक मंदिर बताने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू इतिहास के ऐसे कल पुरुष हैं जिन्हें सदियों सदियों  तक याद किया जाता रहेगा, और कृतज्ञ राष्ट्र  उनसे कभीं उरिण नहीं हो सकेगा  ,ऐसे महामानव के चरणों में शत शत नमन।

विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ नेता विजय शंकर पांडे ने और संचालन  बैजनाथ सिंह ने  किया इसके अलावा विचार गोष्ठी में सर्वश्री राधेलाल एडवोकेट, राधेश्याम सिंह, प्रभूनाथ पान्डेय, भूपेन्द्र प्रताप सिंह आनंद मिश्रा, ज्वाला मिश्रा,  मनोज चौबे , हरेन्द्र  शुक्ला ,पुनीत मिश्रा, वैभव  त्रिपाठी, पंकज  मिश्र, कमलाकान्त पान्डेय, निशांत ओझा, युवराज  पान्डेय, अशोक कुमार पान्डेय, संजय तिवारी ब्रह्मदेव मिश्रा,  महेंद्र चौहान, उदय सिंह, शुभम राय, युवराज पान्डेय, मोहम्मद अरशद ,  समीर अली, आकाश सेठ, जावेद अहमद  अवधेश जायसवाल पिन्टू शेख,  आदि विचार प्रकट किया।

रिपोर्ट – जमील अख्तर 

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