पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टरों की लागत बढ़ती जा रही है. इससे महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. ट्रांसपोर्टरों पर डीजल के बढ़ते दाम ज्यादा दबाव डाल रहे हैं. कई ट्रांसपोर्टर संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर डीजल के दाम बढ़ने पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि ऐसे वक्त में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घट रही है तो भारत पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं.
छोटे ट्रांसपोर्टरों पर ज्यादा बोझ
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि ट्रांसपोर्टर्स की परिचालन लागत में 65 फीसदी हिस्सेदारी डीजल की है. उनका कहना है कि 80 फीसदी ट्रांसपोर्टर छोटे बेड़े वाले हैं. उनके लिए डीजल की महंगाई को झेल पाना मुश्किल है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है बड़े बेड़े में बढ़ी लागत का बोझ ग्राहक पर जल्दी नहीं पड़ता. लेकिन दूध, सब्जी और दूसरी जरूरी चीजें ढोने वाले छोटे ट्रांसपोर्टरों के लिए बढ़ी लागतों को बर्दाश्त करना मुश्किल होता है. यह बोझ सीधे ग्राहकों तक पहुंच जाता है.इससे महंगाई पर सीधा असर पड़ता है.
ट्रांसपोर्टर संगठनों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐसे वक्त में बढ़ रही हैं जब देश में लॉकडाउन के प्रतिबंधों की वजह से आधे ट्रक सड़कों से दूर हैं. इन प्रतिबंधों के साथ ही इंटरस्टेट ट्रांजिट पर मनमानी वसूली से भी ट्रांसपोर्ट लागत बढ़ रही है. इसका सबसे ज्यादा असर लंबी दूरी तक सामान पहुंचाने वाले ट्रकर्स पर पड़ रही है.
सरकार को जल्द जल्द इस संबंध में कदम उठाने होंगे वरना लॉकडाउन खुलने के बावजूद आर्थिक गतिविधियां जोर नहीं पकड़ पाएंगीं.पेट्रोल-डीजल के दाम में लगातार बढ़ोतरी से चौतरफा नाराजगी देखने को मिल रही है. पिछले 15 दिनों के अंदर डीजल में 8.88 और पेट्रोल 7.97 रुपये महंगा हो गया है. इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ सकता है. हालात नहीं सुधरे तो ट्रांसपोर्टर अपने ट्रकों को सड़कों से दूर रख सकते हैं.