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चिंतन में ग्रमीण परिवेश

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
केंद्र सरकार द्वारा घोषित गरीब कल्याण योजना, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित श्रमिक कामगार रोजगार आयोग,और साहित्य परिषद की गांव पर परिचर्चा के बीच कोई तकनीकी सन्योग नहीं है। लेकिन भावना और विचार का धरातल समान है। गरीब कल्याण योजना ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाएगी,श्रमिक कामगार रोजगार आयोग के माध्यम से भी आत्मनिर्भर भारत आभियान को बल मिलेगा। ऐसे ही गांवों का सपना साहित्य परिषद के सदस्यों ने देखा नहीं। आदिकाल से लेकर अंग्रेजों के आने तक भारत के प्रत्येक गांव शिक्षित व स्वावलंबी थे। यह तथ्य अंग्रेजों के द्वारा गठित एक कमेटी की रिपोर्ट में बताई गई थी। अंग्रेजों इस तंत्र को कमजोर बना दिया था।


अखिल भारतीय साहित्य परिषद् उप्र द्वारा गांव को केंद्र में रखते हुए एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी अर्थात वेबिनार का आयोजन किया गया। अपनी वोली अपना गाँव पर विचार विमर्श हुआ। कोरोना संकट ने इसकी प्रासंगिकता बढा दी है। अनेक सपने लेकर महानगरों में गए लाखों ग्रामीण घर वापस आये है। यह भी आपदा में अवसर जैसा हो सकता है। साहित्य परिषद भी साहित्य को समाज व राष्ट्रहित से जोड़ने का वैचारिक अभियान चला रही है। फिर अपनी बोली अपना गांव आकर्षित कर रहे है।

इस यात्रा से अंततः हमारा राष्ट्र मजबूत होगा। इस बेबीनार में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर,डॉ पवनपुत्र बदल,ऋषि कुमार मिश्र, आचार्य योगेश दुबे,डॉ सुशील मधुपेश,प्रो सत्येंद्र मिश्र प्रो ओमपाल सिंह जी डॉ साधना,डॉ महेश पाण्डे, प्रह्लाद वाजपेई,डॉ दिनेश प्रताप, विजय,डॉ दिवाकर बिक्रम,डॉ प्रणव शास्त्री रणविजय,प्रो प्रत्यूष दुबे डॉ रामसनेहीलाल यायावर,देवेंद्र देव का व्यख्यान हुआ।

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