नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ पर राज्यसभा में जवाब देते हुए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एक वेब पोर्टल द्वारा 18 जुलाई को एक बेहद सनसनीखेज कहानी प्रकाशित की गई थी। इस कहानी के इर्द-गिर्द कई तरह के आरोप लगाए गए। संसद के मॉनसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट सामने आई। यह संयोग नहीं हो सकता।
18 जुलाई की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी सुस्थापित संस्था को बदनाम करने का प्रयास प्रतीत होती है। पहले भी व्हाट्सएप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सर्वोच्च न्यायालय सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था।
- कानून मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उच्च सदन में दिया जवाब
- मानसून सत्र से एक दिन पहले प्रेस रिपोर्ट सामने आना महज संयोग नहीं
रिपोर्ट प्रकाशित होने के एक दिन बाद 19 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में मंत्री वैष्णव ने यह बयान दिया था। मंत्री का यह बयान उस घटना के बाद आया है, जब टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने गुरुवार को वैष्णव के बयान की कॉपी छीन ली, जब वह राज्यसभा में अपना भाषण दे रहे थे और उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए।
इसे लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और टीएमसी सांसद शांतनु सेन के बीच गर्म शब्दों का आदान-प्रदान हुआ। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को हंगामे की भेंट चढ़ गई। हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
राज्यसभा में टीएमसी के सांसद शांतनु सेन द्वारा आईटी मंत्री के साथ दुर्व्यवहार पर संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल, आईटी मंत्री अश्विन वैष्णव, मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और वी मुरलीधरन की बैठक चल रही है।
इस पर अहम फैसला लिया जा सकता है। जैसे ही इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ मीडिया रिपोर्ट पर बोलने के लिए उठे, विपक्षी सांसदों द्वारा सदन में हंगामे के बीच राज्यसभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा सांसद और आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि मंत्री के हाथ से कागज़ छीना गया था, फाड़ा नहीं गया, जिसके बाद एक वरिष्ठ मंत्री का जो व्यवहार था वो आज तक संसद में नहीं हुआ। सब स्तब्ध थे, जिस तरह के शब्द मंत्री जी ने कहे।