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अयोध्‍या को नया रंग रूप देने की कोशिश, एक रंग में रंगे जाएंगे भवन

रामनगरी अयोध्या, भव्य राममंदिर के निर्माण के साथ ही पूरी दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर छाने लगी है। यहां हर ओर विकास हो रहा है और ढेर सारे बदलावों के साथ अब इसे नया रंग रूप देने की भी कोशिश है।

अयोध्‍या को नया रंग

योगी आदित्यनाथ सरकार की योजना के मुताबिक बहुत जल्द अयोध्या नए रंग रूप में दिखेगी। अयोध्या के भवनों पर नए नए रंग आपको लुभाएंगे। आवासीय, पुरातात्विक, व्यवसायिक हर तरह के भवनों का रंग तय कर दिया गया है। चौड़ीकरण व सुदृढीकरण के बाद इन नए रंगों के आधार पर ही आपको अपने भवनों का नया रूप देना होगा। खास ये है कि इन मार्गो के मंदिरों का रंग भगवा रहेगा।

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मास्टर प्लान में भक्ति पथ, रामपथ व आस्था पथ के साथ ही श्रीरामजन्मभूमि को जोड़ने वाले अन्य मार्गो के चौड़ीकरण व सुदृढीकरण के साथ ही कामन बिल्डिंग कोड पर भी काम शुरू हो गया है। अयोध्या विकास प्राधिकरण के इस मास्टर प्लान को सीएम ने भी स्वीकृति दे दी है। कुछ दिनों में यह प्रकाशित हो जाएगी। इसके साथ ही इन मार्गो के भवनों की मुखाकृति भी प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई आर्किटेक्ट की एक टीम दिन रात काम करके तैयार की है। मास्टर प्लान के प्रकाशन के बाद इसके आधार पर मुख्य डिजाइन बनेगी। मास्टर प्लान में भवनों की मुख्य डिजाइन तो तय है ही, साथ ही उनकी खिड़कियां, रेलिंग, दरवाजे आदि भी किस रंग में रंगे जाएंगे।

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रामपथ, भक्ति पथ, चौदह-पंद्रह कोसी मार्ग, महोबरा से टेढ़ी बाजार मार्ग व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सभी मार्ग अयोध्या विकास प्राधिकरण के नगर नियोजक गोर्की ने बताया कि अयोध्या में विराजमान रामलला के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शासन के निर्देश पर मार्गों को संवारने का काम चल रहा है। व्यवसायिक, धार्मिक और पुरातात्विक भवनों के अलग अलग रंग तय हो गए हैं।

उधर प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम ने निदेशक, संस्कृति विभाग को भेजे गये पत्र की प्रतिलिपि अध्यक्ष तीर्थ क्षेत्र को भी भेजी गई है। इस पत्र में राज्यपाल की ओर से निर्धारित शर्तों की जानकारी दी गई जिसमें बताया गया कि संग्रहालय व आर्ट गैलरी का स्वामित्व संस्कृति विभाग का है व उसके प्रबंधन, रखरखाव व आवंटन का अधिकार विभाग के पास है।

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मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग से यह दायित्व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को 15 वर्षों के लिए दिया जाएगा। यह अवधि पुन बढ़ाई जाएगी। यह भी बताया गया कि प्रबंधन समिति के सदस्य रूप में निदेशक राज्य संग्रहालय व निदेशक अयोध्या शोध संस्थान दोनों ही रहेंगे।

प्रमुख सचिव के पत्र के मुताबिक श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को संग्रहालय के साथ ऑडिटोरियम, कार्यालय कक्ष व पुस्तकालय भी हस्तांतरित किया जा रहा है। इसका रखरखाव व अनुरक्षण करने के अलावा विद्युत बिल समेत सभी प्रकार का भुगतान तीर्थ क्षेत्र ही करेगा।

कहा गया कि आवश्यकतानुसार विभाग को संग्रहालय के ऑडिटोरियम का निशुल्क उपयोग करने का अधिकार रहेगा। यह भी कि तीर्थ क्षेत्र बिना संस्कृति विभाग की सहमति लिए संग्रहालय के नामकरण में कोई परिवर्तन नहीं करेगा। पत्र के अनुसार तीर्थ क्षेत्र शासन की अनुमति के बिना कोई परिवर्तन, परिवर्द्धन एवं भू-उपयोग में परिवर्तन के अलावा किसी तीसरे को लीज पर भी नहीं देगा।

सरयू तट पर स्थित अन्तर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय का प्रबंधन और अनुरक्षण श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को सौंपने के प्रस्ताव को राज्यपाल ने सशर्त अनुमति दे दी है। राज्यपाल के आदेश के बाद संस्कृति विभाग व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होना शेष रह गया है। इसी एमओयू की तिथि से तीर्थ क्षेत्र को प्रबंधन का अधिकार प्राप्त हो जाएगा। फिलहाल अंदरखाने चल रही कार्यवाही के लिए तिथि की घोषणा नहीं की गई है।

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