उत्तर प्रदेश में कोराना की दूसरी लहर ने काफी सितम ढाया था, अब जबकि हालत कुछ बेहतर होते नजर आ रहे थे तब आंखों की बीमारी ब्लैक फंगस ने लोगों को दहला दिया है। ब्लैक फगस से अब तक प्रदेश में तीन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि निजी अस्पतालों में भर्ती एक दर्जन से अधिक लोगों की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। ब्लैक फंगस का दायरा लगा तार बढ़ता जा रहा है, पहला मामल मेरठ से आया था इसके बाद अब पूरे प्रदेश में इससे प्रभावित मरीज सामने आने लगे हैं। गत दिनों वाराणसी में ब्लैक फंगस की शिकार एक मरीज का आधा चेहरा ही निकालना पड़ गया था। यह बीमारी उन लोगों को खास कर निशाना बना रही है जो कोराना के शिकार हो चुके हैं और जिनकी शूगर बढ़ी हुई है।
ब्लैक फंगस तेजी के साथ आंख दिमाग की कोशिकाओं में फैलता है, जिसका सही समय पर इलाज नहीं मिलने से रोगी की मौत तक हो जाती है। अभी तक प्रदेश के चार शहरों में ब्लैक फंगस के मरीज मिले हैं। अधिकारियों के मुताबिक कानपुर में 50, गोरखपुर में 16, लखनऊ में 8, मेरठ में दो और वाराणसी, झांसी व गाजियाबाद में एक-एक मरीज मिले हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की राज्यस्तरीय समिति से इस सम्बंध में विमर्श करें। बचाव के लिए सावधानियां, लाइन ऑफ ट्रीटमेंट, तैयारियों की विस्तृत रिपोर्ट जल्द दें।
ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइक्रोसिस का इलाज काफी महंगा होता है। एक इंजेक्शन 5 हजार रुपए का तीन माह तक लगाया जाता है। इसके इलाज पर एक दिन में 60 से 80 हजार रुपए तक खर्च हो जाते हैं। दरअसल,कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिलने या फिर होम आइसोलेशन में ही उपचार के बाद ठीक होने पर भी राहत नहीं है। एक तरफ प्रदेश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है। दूसरी ओर अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस ने कोरोना संक्रमितों के लिए खतरा तो सरकार के सामने दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है। म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हें डायबिटीज यानी मधुमेह है।
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ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है। इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं। मेरठ में इसकी चपेट में आने के बाद एक और झांसी में दो लोगों ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि संक्रमितों में अगर ठीक होने के बाद आंख और नाक में कोई दिक्कत होती है तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें, वरना उनको आंखों की रोशनी के साथ नाक और कान में भी दिक्कत हो सकती है।
मेरठ में सबसे पहले ब्लैक फंगस का मामला सामने आया था,जहां मुजफ्फरनगर के एक मरीज की मौत हो गई थी, वहीं एक अन्य मरीज की मरीज की आंख निकाल कर बचाया जा सका था। अभी भी यहां ब्लैक फंगस का प्रकोप जारी है। इसके बाद से शासन द्वारा पूरे प्रदेश में ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीजों की जानकारी जुटाई जा रही है। ईएनटी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि म्यूकरमाइकोसिस नामक फंगस वातावरण में हमेशा रहता है, लेकिन कोविड मरीजों को यह ज्यादा पकड़ रहा है। न्यूटिमा के डा. संदीप गर्ग ने बताया कि ब्लैक फंगस बेहद खतरनाक बीमारी है। पिछली लहर की तुलना में इस बार पोस्ट कोविड फेज में यह ज्यादा देखी जा रही है।