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वैंकैया नायडू: शानदार रहे राज्यसभा के पिछले तीन सत्र

वैंकैया नायडू देश के वरिष्ठ व प्रतिष्ठित समाज सेवक है। उप राष्ट्रपति बनने से पूर्व उन्होंने दलगत राजनीति का त्याग कर दिया था। राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में उन्होंने अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाह किया। पिछले तीन वर्षों में उनके सभापतित्व में राज्यसभा ने अनेक महत्वपूर्व व ऐतिहासिक निर्णय किये। वह संसदीय नियमों के जानकार है,इसका उन्हें लम्बा व्यवहारिक अनुभव भी है। इसी आधार पर वह कहते है कि संसद और विधायिका को एक रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाकर बहस के मानकों और गुणवत्ता को बढ़ाकर अधिक जीवंत और मजबूत बनने की आवश्यकता है। उनके उप राष्ट्रपति पद के अपने तीन वर्ष की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।

इस अववसर पर उन्होंने कहा कि विभिन्न दलों के सदस्यों में सकारात्मक व प्रशंसनीय बदलाव दिखाई देता हैं। इसको बढ़ाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारी संसद और विधानसभाएं बहस के मानकों और गुणवत्ता को बढ़ाकर और साथ ही रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाकर अधिक जीवंत और मजबूत बनें। कोरोना महामारी के कारण यह वर्ष विशेष कठिन रहा है। फिर भी वह विभिन्न भाषाओं के मीडिया में अपने आलेखों अथवा फेसबुक अथवा सोशल मीडिया के माध्यम से जन साधारण से लगातार जुड़े रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उप राष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू के कार्यकाल के तीन वर्ष के वृत्तांत पर आधारित पुस्‍तक कनेक्टिंग,कम्‍युनिकेटिंग चेंजिंग’ का विमोचन किया।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुस्तक के ई-वर्जन का विमोचन किया। नायडू ने सन्तोष व्यक्त किया कि गत वर्ष राज्यसभा की उत्पादकता दर पिछले दस साल की तुलना में सबसे अच्छी रही है। इसमें अठत्तर प्रतिशत की उत्पादकता रही।उन्होंने कहा बीते तीन सत्र सबसे ज्यादा उच्चतर उत्पादकता वाले रहे। इस दौरान करीब साठ प्रतिशत लंबित विधेयक पास कर दिए गए। कमिटी मीटिंग की उपस्थिति भी पहली बार पचास प्रतिशत पार कर गई। सदस्यों को महात्मा गांधी और अन्य नेताओं द्वारा दिए गए स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरक आदर्शों को याद दिलाना होगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में उनका योगदान हमेशा एक मिसाल बन के रहेगा। वह सदन के कामकाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनकी कोशिश रंग भी ला रही है। राज्य सभा के सभापति के रूप में, उन्होंने सदन के सबसे उत्पादक सत्र में से एक की अध्यक्षता की। लोगों के साथ जुड़ना और उनके साथ सीधा संवाद करना सार्वजनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उप राष्ट्रपति इस काम को लगातार कर रहे हैं। ई बुक का उसके कॉफी टेबल संस्करण प्रिंट के साथ विमोचन किया गया।

प्रकाशन विभाग की यह ढाई सौ पृष्ठ की पुस्तक है। इसमें उपराष्ट्रपति की यात्राओं सहित उनकी परिवर्तनशील गतिविधियों की शब्दों और चित्रों के माध्यम से जानकारी दी गई है। अनेक वर्गों के साथ उनकी वार्ता का उल्लेख है। प्रकाश जावडेकर ने कहा कि पुस्तक संवाद के जरिए लोगों से जुड़ने और बदलते भारत के बारे में है और पुस्तक का यह तीसरा संस्करण उन छात्रों के लिए एक खजाना है जो उपराष्ट्रपति के भाषणों का अनुसरण करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाषण विचारों और भावनाओं से परिपूर्ण हैं। और इनमें भाषा का एक अनूठा प्रवाह है।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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