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पहला मरीज मिलने के 100 दिन के भीतर कब्जे में होगा वायरस, महामारी से निपटने के लिए नीति तैयार

भारत ने भविष्य की स्वास्थ्य महामारी से निपटने के लिए अपनी नीति तैयार कर ली है। ऐसी स्थिति में जब भी पहला संदिग्ध या पुष्ट मरीज मिलता है तो 100 दिन के भीतर न सिर्फ वायरस पूरी तरह से कब्जे में लिया जाएगा बल्कि उसकी दवा या टीका की खोज भी साथ-साथ शुरू होगी। जिला स्तर पर स्वास्थ्य टीमें मरीज की निगरानी करेंगी।

साथ ही स्थानीय स्तर पर बीमारी के बारे में लोगों को सचेत करने का काम करेंगी जबकि राज्य स्तर की टीमें मरीज के सैंपल को सुरक्षित प्रयोगशाला तक पहुंचाने से लेकर उससे संबंधित आंकड़े, चिकित्सा इतिहास और अध्ययन पर काम करेंगी। सरकार ने अपनी इस पूरी तैयारी को चार भागों में बांटा है जो सभी पहले दिन से सक्रिय होने चाहिए। बृहस्पतिवार को नई दिल्ली स्थित नीति आयोग ने सभी राज्यों के लिए जारी 80 पन्नों की रूपरेखा में यह सभी जानकारी देते हुए कहा है कि भविष्य की महामारी को लेकर अभी से देश के प्रत्येक राज्य में एक-एक नोडल ऑफिसर तैनात किया जाएगा। यह सभी जिलों में विभिन्न रोगजनकों और उनके प्रभावों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा।

कोरोना से भी बड़ी महामारी वाले वायरस
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया भर में प्रसारित अति जोखिम भरे रोगजनकों की सूची जारी की है। नीति आयोग की रूपरेखा में इस सूची का भी जिक्र है। यह जानकारी देते हुए डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि वर्तमान में ऐसे कई रोगजनकों का प्रसार है जो भविष्य में कोरोना से भी बड़ी महामारी लाने की क्षमता रखते हैं। इनकी निगरानी की चर्चा सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि सभी देशों में की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसा सिस्टम तैयार करना है जो भविष्य में किसी ज्ञात या फिर अज्ञात संक्रमण प्रकोप में पहले 100 दिन के भीतर ही पलटवार करने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिए।

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