लखनऊ। आज ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि के 7वें दीक्षांत समारोह का आयोजन प्रदेश की राज्यपाल एवं विवि की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय एवं राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा रजनी तिवारी रहे।
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समारोह में 890 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई एवं साथ ही 47 छात्र एवं 63 छात्राओं को 110 स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किए गए। 110 पदकों में 01 ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक, 01 कुलाधिपति पदक, 01 कुलपति पदक, स्नातक पाठ्यक्रमों में 27 स्वर्ण, 21 रजत, 19 कांस्य, परास्नातक पाठ्यक्रमों में 17 स्वर्ण, 13 रजत एवं 13 कांस्य पदक शामिल हैं।
बीए ऑनर्स अरबी की छात्रा नूर फातिमा (93.29%) ने अधिकतम अंकों के साथ ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती पदक एवं कुलाधिपति पदक प्राप्त किया तथा बीएड पाठ्यक्रम के प्रथम स्थान प्राप्तकर्ता कार्तिकेय तिवारी (87.85%) को कुलपति पदक प्रदान किया गया।
दीक्षांत समारोह का शुभारंभ जल भरो परम्परा के साथ राज्यपाल द्वारा किया गया। दीक्षांत समारोह के मौके पर कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गए अवधी, भोजपुरी, ब्रज व बुंदेली भाषाओं के लोक गीतों के संग्रह एवं दीक्षांत स्मारिका के विमोचन के साथ साथ विश्वविद्यालय परिसर के नवनिर्मित पार्किंग स्थल का लोकार्पण भी किया।
समारोह में ग्राम अल्लू नगर डिग्गुरिया के प्राथमिक विद्यालय से आए 30 छात्र छात्राओं को माननीय कुलाधिपति महोदया द्वारा फल एवं स्कूल बैग वितरित किए गए। कार्यक्रम में 10 आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी सम्मिलित हुई जिन्हें कुलाधिपति द्वारा उनकी आंगनवाड़ी के लिए उपहार वितरित किया गया।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ी है एवं अधिकतम संस्थानों में मेडल प्राप्त करने वालों में भी छात्राओं की संख्या अधिक होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षण एवं शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है और जल्द ही अन्य क्षेत्रों में भी उनकी भागीदारी बढ़ेगी। प्रधानमंत्री द्वारा चलाए जा रहे मिलेट अभियान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने विद्यार्थियों को पोषण युक्त भोजन के महत्व के बारे में बताएँ।
आंगनवाड़ियों के सहयोग में विश्वविद्यालयों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि सामाजिक सहभागिता शिक्षण संस्थानों के लिए अति महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं स्थानीय भाषा के महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा विश्विद्यालय को अनुवाद के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए।
साथ ही उन्होंने मोटे अनाज पर आधारित एक व्यंजन पुस्तिका तैयार करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि उन्हें अपने माता पिता और गुरु के साथ साथ देश और धरती का भी सम्मान करना चाहिए और एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
अपने दीक्षांत उद्बोधन में चमू कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भाषा व्यक्ति के मस्तिष्क के विकास के साथ साथ उसके व्यक्तित्व और समाज का विकास करती है। भाषा देश को जोड़ने का काम करती है।
उन्होंने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा के सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होना चाहिए एवं सभी विद्यार्थियों को अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि भाषा के माध्यम से ही ज्ञान का प्रवाह हुआ है और आज का युग तकनीक का युग है इसलिए भाषा को तकनीक से जोड़ना अति आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि यह युग नॉलेज इकौनोमी, नॉलेज सोसाईटी, नॉलेज इंडस्ट्री और नॉलेज ड्रिवन ग्लोब का युग है। भारतीय भाषा इसका हिस्सा तभी बन सकती है जब भारतीय भाषाओं में दिन प्रतिदिन रीयल टाइम में नई जानकारियां तैयार एवं उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय भाषा के प्रचार प्रसार में मानसिकता के बदलाव की अहम भूमिका है और यदि हमें भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है तो हमें मानसिकता में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा ये कार्य जटिल अवश्य है लेकिन यदि इसे चरणबद्ध तरीक़े से किया जाए तो किया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वह स्वप्न देखें पर केवल अपने लिए न देखकर वह भव्य भारत का निर्माण करने का स्वप्न देखें।
योगेंद्र उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा की शिक्षा का उद्देश्य संस्कारों को बढ़ाना है। अब शिक्षा को तकनीक और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीती मातृभाषा में शिक्षा पर ज़ोर देती है और हमारी भाषा हमें संस्कारों से जोड़ती है।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विद्यार्थियों में देश के प्रति समर्पित होने का भाव जागृत करना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लिए अत्यंत गौरव की बात है कि हम G 20 का नेतृत्व कर रहे हैं और ये हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की वजह से संभव हो पाया है।
उन्होंने कहा कि अब भारत विश्व का नेतृत्वकर्ता है और विद्यार्थियों को इस संबंध में पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना विश्वविद्यालय की ज़िम्मेदारी है उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल महोदया के प्रयासो से उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है, विशेषकर उच्च शिक्षा में। उनके नेतृत्व में प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों की दशा एवं दिशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आया है।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का कभी अंत नहीं होता यह एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्रहित तथा राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरि रखने का मंत्र दिया।
उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने अपने व्याख्यान में कहा कि दीक्षांत विश्वविद्यालय के लिए एक यात्रा के पड़ाव के सामान है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र प्रदेश में सकारात्मक परिवर्तन आए है।
नई शिक्षा नीती की सफलता के लिए विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता, व्यावसायिक दक्षता, अनुसंधान और मौलिक शोध का वातावरण होना आवश्यक है और भाषा विश्वविद्यालय आकर ऐसे वातावरण की अनुभूति हो रही है।
उन्होंने सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र द्वारा ग्रामीण महिलाओं के कल्याण के लिये की जा रही विभिन्न गतिविधियों की सराहना की और कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान महिला कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
दीक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह स्वामी विवेकानंद, दीन दयाल उपाध्याय, एपीजे अब्दुल कलाम तथा सरोजनी नायडू जैसे नायक नायिकाओं को आदर्श मानते हुए देश व समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।
कुलपति प्रो एनबी सिंह ने विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए बताया की विश्वविद्यालय ने बीते एक सत्र में अलग अलग संस्थाओं के साथ 11 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए है जिससे कोलाबोरेटिव लर्निंग एवं रिसोर्स शेयरिंग को बढ़ावा मिलेगा। इन एमओयू में आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, ब्लू बुक, बजाज फिनसर्व आदि जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं जिनके माध्यम से विश्वविद्यालय के 725 से अधिक विद्यार्थी ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे है।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अपने सभी पाठ्यक्रमों को एनईपी 2020 के अनुरूप संचालित कर रहा है एवं विश्वविद्यालय के स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों के ऑर्डिनेंस को भी एनईपी अनुसार संशोधित कर लिया गया है।
अगले सत्र से विश्विद्यालय कई नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम भी आरंभ करने जा रहा है । उन्होंने यह भी बताया कि नैक मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने विभिन्न प्रकार की पॉलिसीज का निर्माण किया है जिनके अंतर्गत गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
शोध और नवाचार में विश्वविद्यालय की प्रगति का ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले छह माह में विश्वविद्यालय के शिक्षकों को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पांच सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा 12 रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट प्राप्त हुए हैं। इस शैक्षिक सत्र में शिक्षकों द्वारा 24 पुस्तकें एवं 96 शोध पत्र प्रतिष्ठित जनरल में प्रकाशित किये गए हैं और साथ ही शिक्षकों ने 15 पेटेंट भी प्राप्त किये गए है।
अपने वक्तव्य के अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को विद्या रूपी धन का सदुपयोग करने का संदेश दिया। दीक्षांत समारोह के उद्घोषक डॉ नीरज शुक्ल कुलानुशासक एवं सहायक आचार्य वाणिज्य विभाग रहे।