गोरखपुर। गोरखपुर में नाट्य कर्मी भी है और दर्शक भी दोनो में भूख है लेकिन गोरखपुर में प्रेक्षागृह का न होना इंफ्रास्ट्रक्चर नही होगा तो कलाकार और उसकी प्रतिभा कहां निखरेगी,कहां दिखेगी?यह विचार पहली बार गोरखपुर आए राष्ट्रीय नाट्य स्कूल के निदेशक वामनकेद्रे ने व्यक्त किया संस्कार भारती के राष्ट्रीय नाट्य विधा के संयोजक रविशंकर खरे के आवास पर जेवीटी न्यूज से वामन केद्रे से मुखातिब थे उन्होने कहा कि जहां सुविधाए होती है वहा काम होता है हर शहर में कम से कम एक समृद्ध रंगशाला और पुस्तकालय होना ही चाहिए उन्होने कहा कि गोरखपुर में अत्याधुनिक रंगशाला का निर्माण हो जायऔर मुख्यमंत्री के मंत्रालय मे मांग करे तो एनएसडी का केन्द्र गोकखपुर में भी खोला जा सकता है उन्होने कहा कि हिन्दी रंगमंच को व्यावसायिक बनाने केलिए सरकार को जरूरी इंफ्रस्ट्रक्चर देना होगा एक अच्छा काम्पलेक्स बनाना होगा ताकि तब हम कह सकेगे कि भारत मे व्यावसायिक रंगमंच है इन सबके लिए रंगकर्मियो को एकजुटता दिखानी होगी।एनएसडी को मिले इंस्टीच्यूट आफ नेशनल इम्पार्टेश का स्टेटस्-एक सवाल के जबाब मे उन्होने कहा कि वे यूजीसी का हिस्सा बनना चाहते बल्कि साढ़े तीन साल से कोशिश है कि सरकार एनएसडी को इंस्टीच्यूट आफ नेशनल इम्पार्टेश का स्टेटस् प्रदान करे इसके बाद एक बर्षीय एक्टिंग कोर्स,दो बर्षीय चिल्ड्रेन थियेटर समेत पाठ्यक्रम लाने की योजना बना रहे है।एनएसडी के केन्द्र बढ़ाने की तैयारी-दिल्ली से एनएसडी को देश भर मे पहुंचाने की कोशिश वर्कशाप और महोत्सवके जरिये ले जाने की कोशिश की जा रही है ज्यादे से ज्यादे छात्राओं एंव रंगकर्मियों को लाभ मिले इसके लिए बैंगलोर,गंगकोट, और अगरतल्ला में प्रशिक्षण केन्द्र संचालित किया जा रहा है
रिपोर्ट: रंजीत जयसवाल।