सनातनधर्मियों के सबसे बड़े पर्व दीपावली का शुभारंभ धन्वंतरी पूजा यानि धनतेरस से हो जाता है। धनतेरस के बाद रूपचौदस या नरक चतुर्दशी तत्पश्चात दीपावली फिर अन्नकूट या गोवर्धन पूजा और अंत में यम द्वितीया या भाईदूज के साथ ही दीपावली का संपन्न होता है।
इन सभी पर्वों में शुभ मुहूर्त में पूजन का बड़ा ही महत्त्व है तो आइए जानते हैं इन सभी पर्वों के पूजन का शुभ मुहूर्त-
शुभ मुहूर्त- धनतेरस, शुक्रवार 13 नवंबर 2020
इस दिन पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त सायं प्रदोषकाल और स्थिर बृषभ लग्न में 05 बजकर 33 मिनट से 07 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
शुभ मुहूर्त- नरक चतुर्दशी, शनिवार 14 नवंबर 2020
रूपचौदस जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर में तेल मालिश करके औषधि स्नान करना चाहिए। औषधि स्नान से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
शुभ मुहूर्त- सायं प्रदोष बेला में 05 बजकर 33 मिनट से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। यम की प्रसन्नता के लिए दक्षिण मुख करके चारमुखी दीप प्रज्ज्वलन करें।
इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले तेल लगाकर स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
शुभ मुहूर्त- दीपावली,14 नवंबर 2020
व्यापारिक प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा।
इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी।
गृहस्थों के लिए श्रीमहालक्ष्मी के पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त और प्रदोषकाल
सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोष काल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है।
प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है।
इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। सभी गृहस्थों के लिए इसी समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।
विद्यार्थियों और सकाम अनुष्ठान के लिए अतिशुभ मुहूर्त निशीथ काल
जप-तप, पूजा-पाठ, आराधना तथा विद्यार्थियों के लिए माँ श्री महासरस्वती की वंदना करने का समय रात्रि 8 बजकर 06 से 10 बजकर 49 तक रहेगा।
जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं अथवा जिन्हें पढ़ने के बाद भी भूलने की परेशानी रहती है वह इस दिन मां सरस्वती की आराधना करके अपने मनोरथ सिद्ध कर सकते हैं।
इसी समय में श्रीसूक्त का पाठ, कनकधारा स्तोत्र, पुरुष सूक्त, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष तथा लक्ष्मी, गणेश, कुबेर की प्रसन्नता के लिए कामना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
ईष्ट साधना तथा तांत्रिक पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल
घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करन वाली मां श्री महाकाली, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले भगवान श्रीकाल भैरव की पूजा, तांत्रिक जगत तथा इष्टदेव की साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त महानिशीथ काल का आरंभ रात्रि 10 बजकर 49 मिनट से आरंभ होकर मध्य रात्रि पश्चात 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
इस काल के मध्य की गई साधना, मारण मोहन उच्चाटन, विद्वेषण, वशीकरण आदि के लिए मंत्र जाप का फल अमोघ होता है और वह मंत्र आपकी रक्षा करने में सहायक सिद्ध होता है।
शुभ मुहूर्त- अन्नकूट गोवर्धन पूजा
15 नवंबर रविवार दोपहर 11 बजकर 44 मिनट से 01बजकर 53 मिनट तक अति श्रेष्ठ, छप्पन भोग मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त-भाईदूज यम द्वितीया
16 नवंबर सोमवार को बहनों द्वारा भाइयों के माथे पर तिलक करने का श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 43 मिनट बजे से शायं 04 बजकर 28 मिनट तक।