वो कौन है
एक साया पल-पल उन्मादित करता,
मेरी उर धरा को क्या जाने वो कौन है।
उस पार से दूर के संगीत सा बजता,
मेरे मन विना के तार को झंकृत करता वो कौन है।मुझे बुलाता दर्द के दाग को अश्कों से जब धोती हूँ,
तब शून्य नभ से उतरता है एक आवारा बादल कौन है।तमस घिरी रात में यादों के नश्तर को कुरेदती,
सलवटों पर रेंगते मेरे तन पर बिखर जाता है कुमुद दल सा मखमली वो कौन है।रुपहले बुलबले लोचनों की कोर से बहते है हिम के तेजपूँज से तब,
पीठ पसवारे थपकियाँ देता नींद को आह्वान देता देवदूत सा कौन है।उच्छ्वास भरती उर सुगंधित स्वप्न आधी रात मे मैं,
दृग को खोलकर पंखुडी का अर्घ्य देता कौन है,
मुझको थामें मेरी रूह में हरदम ये बहता कौन है।बिखर जाती हूँ…. पत्तियों सी
चमकती हूँ जुगनुओं सी, लिपटे जब वो
तड़ित सी मुस्कान लिए… छुईमुई सी बंद कोंपलो सी गिर पडूँ आगोश में उनकी सिप में छूपे मोतियों सी,
मुझको थामें पलकों पर अपनी वो मन के मीत सा कौन है।।भावना ठाकर ‘भावु’, बेंगुलूरु
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