लखनऊ। भोजपुरी Bhojpuri के संवैधानिक दर्जा खातिर जन आंदोलन बहुत जरुरी है क्योंकि भोजपुरी आज दुनिया के सोलह देशों सहित देश के कई राज्यों – बिहार, यू.पी., दिल्ली, मध्य प्रदेश, झारखंड, छतीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात आदी में करोड़ो लोग के द्वारा बोली जाती है पर अभी तक इसे संविधान में दर्जा नहीं मिला है। जबकि इससे कम बोले जाने वाली भाषा संविधान की आंठवी अनुसूची में शामिल है।
Bhojpuri अभी तक संविधान में
भोजपुरी Bhojpuri अभी तक संविधान में शामिल नहीं है इसके दो मुख्य कारण है। पहला कारण ये है कि भोजपुरी बोलेने वाले लोग असंगठित है जिसका फायदा जनप्रतिनिधि खूब उठा रहे हैं । चुनाव आते ही ये बात सबको याद आती है और चुनाव के बाद भुल जाते हैं। यह बस एक चुनावी मुद्दा रह गया है। कई नेताओं ने समय-समय पर इस मुद्दा को उठाया संसद में औऱ कई सभाओं में भी बात उठी पर अभी भी संविधान की आंठवी अनुसूची में शामिल नही हो पाई है।
फिलहाल सरकार की मंशा भी इस पर स्पष्ट नहीं है और नेताओं को उनके आश्वासन याद दिलाना होगा जो इसकी बात करेगा वही राज करेगा। दूसरा अहम कारण है कि एक जुट होके पूरजोर तरीके से इस मुद्दा को जनता के बीच में ले जाना होगा और इसके लिए जन आंदोलन जरुरी है ये कहना है दिल्ली रत्न , भोजपुरी के लोकप्रिय गीतकार एवं लाल कला मंच के संस्थापक सचिव लाल बिहारी लाल का।
भोजपुरी के संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के खातिर पिछला चार दसक से संघर्ष हो रहा है पर जागरुकता की कमी के कारण ये संविधान में शामिल नही है। किसी ने कहा है कलयुग में एकता में बल है इसलिए इसे संगठि होकर आंदोलन करना होगा, जो भोजपुरी की बात करेगा वही देश पर राज करेगा।