कर्नाटक केे पाकुड़ के महेश्वर टुडू जिसकी हत्या के आरोप में तीन लोगों सलाखों के पीछे हैं, ने अदालत में हाजिर होकर कहा कि हुजूर मैं जिंदा हूं और ठीकठाक हूं. मेरे मौत की खबर गलत थी. एसीजेएम की अदालत में 164 के तहत स्वीकारोक्ती बयान में उसने इसका इजहार किया. कोरोना संक्रमण दौर में उसका बेंगलुरू से लौटना उन तीन लोगों को जीवन दे गया जो उसकी हत्या के आरोप में जेल में बंद थे. वैसे हत्या का मुकदमा जेल में बंद साहेबजन, शिलिप और शिवास्टेन सहित आठ लोगों पर हुआ था. अब तीनों के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है.
जमीन विवाद है वजह, पत्नी ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी
पाकुड़ जिला के अमड़ापाड़ा थाना के बोहड़ा गांव के महेश्वर टुडू की हत्या के संबंध में उसकी पत्नी ने ही आरोप लगाया था कि उसका अपहरण कर हत्या कर दी गई है. महेश्वर की पत्नी दिबीबिटी ने 21 मार्च को अमड़ापाड़ा थाना में जमीन विवाद के सिलसिले में अपहरण के बाद हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उसकी शिकायत के बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
सोमवार को अदालत में महेश्वर ने कहा कि पांच मार्च को वह कोरोना की जांच कराने निकला फिर दुमका चला गया. वहां से कुछ अन्य लोगों के साथ वह काम के सिलसिले में बेंगलुरू चला गया. लॉकडाउन के कारण कोई दो माह बाद वह वापस लौटा मगर अपने घर जाने के बदले लिट्टीपाड़ा अपने ससुराल चला गया.
पुलिस को उसके जिंदा रहने और वापस आने की खबर मिली तो गम्हरिया से उसके संबंधी के घर से 26 अप्रैल को ही धर दबोचा, मगर कोरोना संक्रमित होने के कारण अदालत में उसका बयान नहीं हो पाया था. पाकुड़ एसपी मणिलाल मंडल के अनुसार महेश्वर का अपने गोतिया से जमीन विवाद चल रहा था. उसी सिलसिले में अपने गोतिया को फंसाने के लिए उसने चाल चली थी. महेश्वर काम के सिलसिले में बाहर चला गया था. उसकी पत्नी इससे अवगत थी. पति के जाने के 15 दिनों के बाद गोतिया के लोगों पर हत्या करने और साक्ष्य मिटाने के लिए शव गायब कर देने का आरोप लगाया और थाने में जागर गलत तरीके से अपने गोतिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी थी. पति की हत्या की सूचना गांव वालों को दिये जाने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हो गये थे और आंदोलन पर उतर गये थे. बोहड़ा गांव में दो बार सड़क जाम भी किया था.