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पुरुषों की गाली में महिलायें क्यूँ?

भारतीय समाज विस्तृत हो चुका है उनकी सोच भी विस्तृत हो चुकी है नए-नए आयाम नई-नई तकनीकी नए-नए विचार से लोग आगे बढ़ रहे हैं और मुकाम हासिल कर रहे हैं। शहरों से लेकर गांव तक, आधुनिकीकरण से लेकर आम जीवन तक लोगों ने क्षेत्र को विकसित कर लिया है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ चीजें नहीं बदली है वह है औरतों की स्थितियां। पुरुषों को नई-नई शिक्षायें दी जाती है, कार्य करने के हर अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं, घर की बहुत सी जिम्मेदारियों का भार पुरुषों पर होता है, लेकिन उससे कई गुना नारियां इस भार को उठाती है। बचपन से ही माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं अच्छे स्कूल भेजते हैं ताकि बच्चे अपने दिमाग का सर्वांगीण विकास कर सके और सीख सके सब का सम्मान करना। लेकिन क्या बच्चे बाहर जाकर जो सीख रहे हैं वह सचमुच शिक्षा ले रहे हैं या पतन की ओर बढ़ रहें हैं? स्कूल जाकर बच्चा यदि गाली बकता है तो थोड़ी देर के लिए उन्हें सजा दे कर माफ कर दिया जाता है।
कई घरों में यह देखा गया है कि बच्चे #गाली देते हैं तो मजाक में सब उसे अठखेलियां मानकर हंसते हैं, सोचते हैं बच्चा है! लेकिन क्या आप जानते हैं इस गाली की शुरुआत के साथ ही उनके दिमाग का पतन होने लगता है वह स्वतंत्र हो जाता है अपनी मनमानी के लिए। जब यह धीरे-धीरे बड़े होते हैं और घर के माहौल में यदि कोई बिना गाली-गलौंच के बात नहीं करता है तो बच्चे कान लगा उनकी बातें सुनते हैं, वह नहीं जानते हैं कि जो गाली वह बच्चे सुन रहे हैं, वह गंदी मानसिकता का प्रतीक है। घर के माहौल से बिगड़ते हैं बच्चे और जब यह पुरुष बनते हैं तो इनमें महिलाओं के प्रति जो इज्जत आती है वह सब परिवार के पारिवारिक माहौल का नतीजा होता है।
यदि बच्चों को समय रहते गलत काम करने या गलत बात कहने से नहीं रोका जाए तो बड़े होकर उसका भुगतान परिवार वालों को करना पड़ता है। यदि आपके परिवार में कोई पुरुष फोन पर बात करते समय हर वक्त गाली देता है किसी अमुक व्यक्ति को, तो वह मानसिकता का असर बच्चों की मानसिकता पर भी पड़ता है और वह भी समय के साथ उस तरह बर्ताव करने लगता है जैसा कि परिवार के लोग करते हैं। उन्हें शुरू से औरतों की इज्जत करना सिखाया नहीं जाता, उन्हें शुरू से यह कह दिया जाता है कि बेटियां पराये घर में जाती है, बेटा तू तो मेरा राजा है! तुझे तो जीवन भर यही रहना है। घर में बेटों को इज़्ज़त करना नहीं सिखाये जाने से आगे चलकर  युवा समाज पतन की ओर चला जाता है।
राह चलती लड़कियों को छेड़ना, उन्हें परेशान करना, उन्हें तकलीफ देना, गलत ढंग से उन्हें छूना और फिर आगे निकल जाना। गंदे शब्दों का प्रयोग करते हुए लड़की की आत्मा को वह लोग छलनी कर देते हैं। वह भूल जाते हैं कि उनके घर में भी बहने होती है, मां है, बुआ है, चाची है, नानी है, दादी है, लेकिन गलत लोगों की संगति और बाहरी माहौल में जब यह पुरुष गलत हरकतें करते हैं तो यह परिचय देते हैं अपने नपुंसक दिमाग का! क्यों गालियों का शिकार होती है लड़कियां, औरतें?
मां बहन और इन पर दी जाने वाली गाली वेश्या, कुलटा, कमीनी, चुड़ैल और ऐसी बहुत सी गालियां है जिनको लिखने में मुझे खुद शर्म आती है। मां बहन की गाली देना, ना जाने कितनी लड़कियों की आत्माओं को वह तार-तार कर देते हैं। अक्सर यह ऐसे लोग कहते हैं कि लड़कियों का स्तर लड़कों से नीचा होता है। मुझे आज तक यह नहीं समझ में आया कि यह किस सोच के आधार पर पुरुष ऐसा कहते हैं? दुनिया भर के त्याग जब औरतें करती हैं तो सर्वगुण संपन्न कहलाती है वर्ना गाली खाती है, लेकिन पुरुष समाज क्या कर रहा है! गलत बोल रहा है इसका विरोध कोई नहीं करता है। जिसको गाली दी जा रही है वह जानती हैं कि इसकी टीस कितनी ह्रदय विदारक होती है।
सोशल मीडिया से लेकर घर के माहौल तक वो लोग जिम्मेंदार होते हैं, जिन्हें औरतों का सम्मान करना नहीं आता है, वह सोशल मीडिया में भी औरतों को लज्जित करते हैं, उनसे गलत बात करने का प्रयास करते हैं, औरतों के चरित्र पर उंगली उठाते हैं जैसे औरतें इनकी पर्सनल प्रॉपर्टी है! आखिर क्यों सम्मानित नहीं हो पाती है स्त्रियां? क्यों गाली में औरतों को लज्जित किया जाता है? इससे क्या पुरुष महारथी बन जाते हैं?  पुरुषों को ऐसा क्यों लगता है कि हमारी सत्ता मजबूत है और औरतों की कम! औरतें अपनी शारीरिक बनावट के कारण भी पुरुषों की गाली का शिकार होती है। आखिर आप औरतों को गाली देकर अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं! यदि आप इज्जत नहीं करेंगे, तो बच्चे कैसे करेंगे? रात के सन्नाटे में सड़कों पर दो पुरुषों के बीच में, दो गुटों के बीच में लड़ाई होती है। हर छोटी बात पर मां बहन पर गालियां शुरू हो जाती है, आखिर मां बहनों की इज्जत इतनी सस्ती क्यों पुरुषों नजरों में ? क्या इनकी इज्जत नहीं है! आप उनकी ही कोख से जन्म लेते हैं और उनकी ही कोख को गाली देते हैं! क्या यही सभ्यता है पुरुष समाज की?
अब ऐसा नहीं कहना कि हर मायने में पुरुष ही सही होते हैं। चाहे पुरुष कितना ही चरित्रवान क्यों ना हो लेकिन उसके मुंह से निकलने वाली एक गाली उसके चरित्र का प्रमाण पत्र दे ही देते हैं। मेरे ख्याल से ऐसा कोई पुरुष नहीं होगा जिसमें मां बहन को लेकर गाली नहीं दी हो। आप कलह करते हैं, मारपीट करते हैं, शराब पीकर घर आते है और फिर लगातार बेबस और लाचार पत्नियों पर अपनी हुकूमत चलाते हैं। शराब के नशे में आप ना जाने उन्हें क्या-क्या बोल जाते हैं, जब नशा उतरता है तो माफी मांगने का ढोंग करते हैं। आखिर ऐसा माहौल क्यों उत्पन्न होता है? क्योंकि घर में पारिवारिक माहौल ऐसा होता है अपने पारिवारिक माहौल बदलने का प्रयास कीजिए। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दीजिए। उनके सामने गाली-गलौंच ना करें।
औरतों की इज्जत यदि आप करते हैं तो बच्चे भी करेंगे। भाई-बहन का त्यौहार रक्षाबंधन जब आता है तो बहने भूखी प्यासी रहकर भाई की कलाई में एक उम्मीद का धागा बाँधती है और वह चाहती है जैसे आप अपनी बहन की इज्जत करते हैं, दूसरों की बहन की इज्जत भी करें। जब कोई स्त्री व्रत त्यौहार इत्यादि करती है अपने पति के लिए तो वह अपने पति से उम्मीद करती है कि आप उन्हें एक इज्जत भरी जिंदगी देंगे! उनके साथ प्रेम से रहेंगे और उनके त्याग का मोल समझेंगे। याद रखिए यही औरतें रात रात जागकर आपकी लंबी उम्र दुआ करती है और आप पुरुष इन्हें झगड़े के दौरान गाली देकर उनकी सारी त्याग तपस्या को पानी कर देते हैं जो कि बहुत निंदनीय है।
वह पुरुष बहुत ही नेक विचार के होते हैं जो हर सुख-दुख में अपनी पत्नी का साथ निभाते हैं और हर कठिनाई में अपनी पत्नी के साथ खड़े होते हैं, ऐसे पुरुष पूजनीय है। लेकिन इसके विपरीत जो पुरुष कुसंगति के शिकार होते हैं जिन्हें महिलाओं की इज्जत नहीं करनी आती उनके लिए भी औरतें व्रत और त्यौंहार करती हैं। अब कितना त्याग चाहते हैं महिलाओं से आप? अपने पारिवारिक माहौल को सुधारने का प्रयास करें। आपके घर में रहने वाली मां बहनों की इज्जत करें और बाहर किसी भी औरत के साथ बुरा बर्ताव ना करें। यदि सुनसान अकेले रास्ते से औरत गुजर रही है तो उन्हें इज्जत के साथ उनके घर तक पहुंचाने का कार्य एक पुरुष का होता है। आप उन्हें लज्जित करके कुछ प्राप्त नहीं कर सकते हैं। औरतों के दिल में आप पुरुष तभी जगह बना सकते हैं जब आप एक नेक विचारधारा की व्यक्ति होंगे।
आपके मुंह पर उनके लिए गाली नहीं होंगी। याद रखिए यदि आपको औरतों के दिल में जगह बनानी है तो पहले उनकी इज्जत करना सीखे। यदि आप इज्जत करेंगे तो वह भी आपको दिल से इज्जत करेंगी। उन औरतों को भी सुकून होना चाहिए कि अभी भी मानवता का स्तर गिरा नहीं है, सुधार की आवश्यकता है। अपने मन पर संयम रखें, प्रेम और सद्भाव रखे, औरतों के प्रति गाली-गलौंच से बचें। कोशिश करें कि आपके द्वारा किसी महिला का अपमान ना हो।भले ही आप पुरुष कुछ नहीं बदल सकते, मगर अपनी वाणी पर संयम रखना सबसे बड़ा पुरुषार्थ होगा। आइए आज से अभी से गाली-गलौंच जैसे शब्दों का त्याग करें। गुस्सा किसी भी बात पर आए, मगर मुंह पर गाली ना आए! तभी आप पुरुष सही मायने में पूजनीय कहलाएंगे।
          पूजा गुप्ता

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