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महामारी से लड़ने के लिए होना पड़ेगा अत्याधुनिक

• क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन आयुष्मान डिजिटल हेल्थ मिशन के लिए समर्पित

• यूपी में जल्द ही लॉंच होगा यूनीफ़ाइड डिजीज सर्विलांस प्लेटफ़ार्म और ‘यूपी के स्वास्थ्य केंद्र’ एप्लीकेशन

• कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव को सफल बनाने में को-विन रियल टाइम प्लेटफॉर्म ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

• आउटब्रेक सर्विलांस में आईडीएसपी-आईएचआईपी रियल टाइम डाटा इन्फॉर्मेशन एक्सेस प्लेटफॉर्म का अहम योगदान

• पिछले दो सालों में कई राज्यों में हुये आउटब्रेक सर्विलांस के अध्ययन पर हुआ मंथन

वाराणसी। जनपद में क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम (एफ़ईटीपी) राष्ट्रीय सम्मेलन 2023 (साउथ ईस्ट एशिया रीज़न) का गुरुवार को दूसरा दिन संपन्न हुआ। सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न महामारी के आउटब्रेक सर्विलान्स के लिए डिजिटलीकरण और आधुनिक तकनीकी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया।

इस दौरान आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन के अंतर्गत विभिन्न नए प्रयासों के बारे में चर्चा हुई। साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में हुए महामारी के आउटब्रेक को सफलतापूर्वक नियंत्रित, प्रबंधन और निगरानी के अध्ययन के बारे में विस्तारपूर्वक मंथन किया गया।

महामारी से लड़ने के लिए होना पड़ेगा अत्याधुनिक

दूसरे दिन के पहले पैनल डिस्कशन में डबल्यूएचओ इंडिया के डॉ ट्रेन मिन्ह और आईसीएमआर- एनआईई के डॉ मनोज मुरेकर ने यूएस सीडीसी वर्कफोर्स एंड इंस्टीट्यूट डेव्लपमेंट ब्रांच के चीफ डॉ किप बैगेट के साथ पब्लिक हेल्थ एवं इमेर्जेंसी वर्कफोर्स रोडमैप, ग्लोबल फील्ड एपिडेमोलोजी रोडमैप तथा नेशनल पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट की कार्यप्रणाली पद्धति और क्रियान्वयन के बारे में विस्तृत चर्चा की।

डॉ किप ने बताया कि डबल्यूएचओ के माध्यम से पिछले साल पब्लिक हेल्थ एवं इमेर्जेंसी वर्कफोर्स रोडमैप शुरू किया गया था जो क्षेत्रीय स्तर पर किसी भी महामारी को नियंत्रित और प्रबंधन करने में अहम भूमिका निभा रहा है। साथ ही बुधवार को लांच की गई पुस्तिका ‘वन इंडिया एफ़ईटीपी रोडमैप’ की भूमिका के बारे में जानकारी दी और भारत सरकार व एनसीडीसी इंडिया को बधाई भी दी।

महामारी से लड़ने के लिए होना पड़ेगा अत्याधुनिक

दूसरे पैनल डिस्कशन में डबल्यूएचओ इंडिया के डॉ पवन मूर्ति ने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के प्रभारी व संयुक्त निदेशक डॉ हिमांशु चौहान, यूपी स्टेट सर्विलांस ऑफिसर डॉ विकासेंदु अग्रवाल और आईसीएमआर-एनआईई चेन्नई के वैज्ञानिक डॉ गणेश कुमार के साथ देश में टेकनोलोजी एंड इनोवेशन ड्राइविंग के बारे में विस्तार से चर्चा की। डॉ विकासेंदु ने बताया कि आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन को ध्यान रखते हुये यूपी सहित विभिन्न राज्यों में हेल्थ डिजिटलीकरण को मजबूत किया जा रहा है।

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यूपी के समस्त आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस कार्य में एएनएम और आशा कार्यकर्ता भी पूरा सहयोग कर रही है।

इसी क्रम में आयुष्मान भारत हेल्थ आईडी कार्ड भी बनाए जा रहे हैं जिसमें व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य रिकॉर्ड होगा जो पूरे देश में कहीं भी प्रदर्शित हो सकेगा। अभी यह कार्ड ड्रीफकेस एप के जरिये ऑनलाइन बनाए जा रहे हैं। जल्द ही आभा आईडी कार्ड को ई-कवच, यूनिफ़ाइड डिजीज सर्विलांस प्लेटफ़ार्म (यूडीएसपी) और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के जरिये ऑफलाइन बनाया जा सकेगा।

महामारी से लड़ने के लिए होना पड़ेगा अत्याधुनिक

इसके लिए जल्द ही यूनिफ़ाइड डिजीज सर्विलांस प्लेटफ़ार्म और ‘यूपी के स्वास्थ्य केंद्र’ एप्लीकेशन को लॉंच किया जाएगा जिससे मरीजों का एक ही जगह सम्पूर्ण हेल्थ रिकॉर्ड दर्ज हो सके और कोई भी इसको देख सके। इस कार्य में बीएमजीएफ़ और यूपीटीएसयू से लगातार सहयोग लिया जा रहा है। डॉ गणेश कुमार ने बताया कि टेकनोलोजी एंड इनोवेशन को ध्यान में रखते हुये कोविड-19 पेंडेमिक में टेली मेडिसिन सर्विस बहुत ही कारगर साबित हुयी है। इसके लिए देशभर में करीब 3000 से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। इसके साथ ही उन्होने ‘ट्रेकिंग एफ़ईटीपी थ्रु टेक्नोलोजी’ एप्लीकेशन के लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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इसके बाद डॉ हिमांशु चौहान ने जनवरी 2021 में शुरू हुये कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए तैयार किया गया कोविन रियल टाइम इन्फॉर्मेशन, एक्सेस व डाटा एंट्री पोर्टल पूरी तरह से सफल रहा। इसके साथ ही आउटब्रेक सर्विलांस के तैयार किए गए इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) और इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) रियल टाइम पोर्टल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। किसी भी प्रकार का आउटब्रेक मिलने पर आईडीएसपी और आईएचआईपी बहुत ही कारगर है। इसकी मॉनिटरिंग और फीडबैक के लिए विभिन्न स्तर पर क्षेत्रीय एपिडेमोलोजी, अधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी तैनात किए गए हैं।

इसके अलावा विभिन्न ओरल सत्रों के जरिये पिछले दो सालों में देश के विभिन्न राज्यों में हुये आउटब्रेक के अध्ययन के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान कंट्री हेड सीडीसी इंडिया डॉ मेघना देसाई, एनसीडीसी के प्रधान सलाहकार डॉ सुजीत कुमार सिंह, एनसीवीबीडी की निदेशक डॉ तनु जैन, अपर निदेशक डॉ आरती बहल, एपिडमोलोजी विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ तंजिन डिकिड, सहायक निदेशक डॉ रमेश चंद, मुख्य चिकित्सा अधिकारी भारत सरकार डॉ एके यादव सहित एनसीडीसी इंडिया के समस्त अधिकारी, यूएस सीडीसी के प्रतिनिधि, डबल्यूएचओ इंडिया के विभिन्न प्रतिनिधि, सीएमओ डॉ संदीप चौधरी, एसीएमओ डॉ एसएस कनौजिया, डीएमओ एससी पांडेय, डॉ अमित कुमार सिंह एवं विभिन्न प्रांतों से आए चिकित्सक, एपिडेमोलोजिस्ट, वैज्ञानिक व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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