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वर्ल्ड फूड डे: विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में मोटापा बना बड़ी समस्या तो कही दाने दाने को तरसे लोग

यानी 16 अक्टूबर को पूरी दुनिया वर्ल्ड फूड डे मना रही है. इस दिन अंतरराष्ट्रीय पर कई संगठनों की ओर से यह संदेश दिया जा रहा है  वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट कहती है, हम इतना भोजन तैयार करते हैं कि दुनियाभर में 700 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है.  यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार, 828 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो हर रोज रात में भूखे पेट सोते हैं. यह दुनिया की पूरी जनसंख्या का 10 फीसदी है.

दुनियाभर में हर एक इंसान को जितना भोजन चाहिए, उससे 17 फीसदी से अधिक भोजन तैयार किया जा रहा है. जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ रही, उससे कहीं तेजी से भोजन तैयार हो रहा है.इसमें 345 मिलियन लोग तो ऐसे हैं, जो खाने के लिए काफी तरस रहे हैं और उन्हें मुश्किल से खाना मिल पाता है.

पहले इसके मामले उन देशों में देखे जा रहे थे जहां के लोगों की इनकम अधिक थी या समृद्ध देशों में, लेकिन अब विकाससील देशों में भी अधिक वजन वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है. लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में मोटापे की दर यूरोप के बराबर है.

महिलाओं के कंधे पर भोजन को तैयार करने की जिम्मेदारी पुरुषों से कहीं ज्यादा होती है. दुनियाभर में जितना भोजन तैयार किया जाता है उसका 50 फीसदी से अधिक भोजन महिलाएं ही तैयार करती हैं. अफ्रीका में तो 80 से 90 फीसदी तक भोजन तैयार करने का काम महिलाएं करती हैं. वो घर के साथ खेती-किसानी भी संभाल रही हैं. हाल ही में यूएन की एक रिपोर्ट में पता चला है कि दुनिया में नौ में से एक शख्स को भरपेट खाना मिल पाता है.

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