लखनऊ (दया शंकर चौधरी)। नानकशाही कैलेंडर (Nanakshahi calendar) के अनुसार चैत महीने के पहले दिन पर गुरमत समागम (Gurmat Samagam) 13 मार्च को श्री गुरू सिंह सभा (Shri Guru Singh Sabha), गुरूद्वारा नाका हिंडोला (Gurdwara Naka Hindola), में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। नानकशाही नव वर्ष (Nanakshahi New Year), संवत 557,14 मार्च को है। इस मौके पर विशेष दीवान सजाया गया।
गुरुवार को शाम का विशेष दीवान 6 बजे रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो रात्रि 12:30 बजे तक चला, जिसमें हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने आरती, शबद कीर्तन गायन एवं आई हुई संगत को नाम सिमरन करवाया। ज्ञानी गुरजिंदर सिंह ने सिखी नवा साल चैत महीने दी आरंभता, होला मला पर प्रकाश डालते हुए संगत को ईतिहास बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने 17वीं शताब्दी के अंत में होला मोहल्ला की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सिखों को सैन्य कौशल का प्रदर्शन करने और समुदाय में एकता व सौहार्द की भावना को बढ़ावा देना था।
होला मोहल्ला को मनाने का मुख्य उद्देश्य सिखों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना, उनमें आत्म-अनुशासन और योद्धा की गुणवत्ता विकसित करना, और आध्यात्मिक कुशलता को बढ़ावा देना था।
रागी जत्था उच्चेचे तौर ये पंथ दे महान कीर्तनिये भाई साहेब भाई सुरेंद्र सिंह अते भाई साहेब भाई जगतार सिंह(हज़ूरी रागी श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर ) गुरुद्वारा नाका हिंडोला रात १०-१२:३० बजे तक शबद कीर्तन गायन कर साध संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सरबजीत सिंह व मनमीत सिंह ने किया।
दीवान की समाप्ति के पश्चात श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष डाक्टर अमरजोत सिंह ने आई साध संगत को नव वर्ष,नानकशाही कैलेंडर में चेत महीने का पहला दिन की और होला महल्ला पर संगत को बधाई संदेश दिया। तत्पश्चात् श्रधालुओं में गुरु का लंगर वितरित किया गया।