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योगी सरकार: बेमिसाल चार साल

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

एक वर्ष बाद विधान सभा चुनाव होने है। पंचायती चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। कुछ लोग कृषि कानूनों के विरोध में राजनीति कर रहे है,विपक्षी पार्टियों ने भी सक्रियता बढाई है। किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी के लिए यह दबाब का समय होता,लेकिन भाजपा विरोधियों की गतिविधियों से परेशान नहीं है। इसका प्रमुख कारण केंद्र व प्रदेश सरकार की उपलब्धियां है। केंद्र सरकार ने इस दौरान अभूतपूर्व व ऐतिहासिक निर्णय लिए है,जिनके पर अन्य कोई पार्टी कभी कल्पना तक नहीं कर सकती थी।

अयोध्या जन्मभूमि पर श्री राम मंदिर का निर्मांण, अनुच्छेद 370 तीन तलाक की समाप्ति,नागरिकता संशोधन कांनून, कृषि कांनून,आत्मनिर्भर भारत अभियान, कोरोना संकट में प्रभावी आपदा प्रबंधन,किसान सम्मान निधि, अस्सी करोड़ गरीबों को छह माह तक राशन, भरण पोषण भत्ता, करोड़ों निर्धन आवास, शौचालय आदि अनेक अभूतपूर्व उपलब्धियां सत्ता पार्टी को उत्साहित करने वाली है। वह सपा बसपा सरकारों के सभी कार्यकालों को चुनौती देने को तैयार है। किसान व गरीब कल्याण,लाखों करोड़ का निवेश अवस्थसपना सुविधाओं का विस्तार,पांच एक्सप्रेस वे पर कार्य स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में पिछली सरकारों के रिकार्ड को बहुत पीछे छोड़ दिया है। जबकि पिछला करीब एक वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना में व्यतीत हुआ। इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ ने विकास की गति कम नहीं होने दी।

प्रधानमंत्री की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की कार्ययोजना पर अमल चल रहा है। राज्य सरकार की कार्यपद्धति में बदलाव से आय बढ़ी है। शीघ्र ही स्टेट जीएसटी से होने वाली आय एक लाख करोड़ रुपये की सीमा पार कर लेगी। राज्य सरकार ने अब तक गन्ना किसानों को सवा लाख करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया है। करण्ट ईयर आधे से अधिक का गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है। कोरोना काल में भी सभी एक सौ उन्नीस चीनी मिलें संचालित की गईं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लगभग छत्तीस लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की। छांछठ लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद की जा चुकी है तथा किसानों को ग्यारह हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा मक्के की खरीद कर किसानों को करीब दो सौ करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत प्रदेश के दो करोड़ बयालीस लाख किसानों को लाभान्वित किया गया है। इसके लिए राज्य को भारत सरकार से प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में पहले उत्तर प्रदेश चौदहनवें पायदान पर था। वर्तमान में ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में प्रदेश की रैंकिंग देश में द्वितीय है। राज्य की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई और बजट का दायरा बढ़ा है। पहले प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश में छठे स्थान पर थी। पिछले चार वर्षाें में प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी है। प्रदेश शहरी और ग्रामीण इलाकों में चालीस लाख आवास उपलब्ध कराए गए हैं।

करीब ढाई करोड़ से अधिक किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लाभान्वित किया गया। चौवन लाख कामगार श्रमिक,स्ट्रीट वेण्डर्स आदि को भरण-पोषण भत्ते का लाभ मिला। कामगारों श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा तथा सर्वांगीण विकास के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उत्तर प्रदेश कामगार एवं श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग का गठन किया गया है। प्रदेश के युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से निःशुल्क कोचिंग हेतु मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना संचालित की जा रही है। मुख्यमंत्रियों की  लोकप्रियता सूची में योगी आदित्यनाथ नम्बर वन है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री माना गया है।

कोरोना काल में उनके आपदा प्रबंधन की दुनिया में चर्चा हुई। विकसित देश भी योगी मॉडल से प्रभावित हुए थे। चार वर्ष  पहले यह ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ में देश में चौधनववें स्थान पर था, आज व्यापार का वातावरण बना है और प्रदेश ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ में देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। आज प्रदेश में तेजी के साथ निजी निवेश हो रहा है। निजी क्षेत्र में अब तक तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ है। इसके माध्यम से पैंतीस लाख युवाओं को रोजगार व नौकरी के साथ जोड़ा गया है। जीएसटी के तहत उनचास हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होता था,जो अब बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए हो गया है।

आबकारी में वर्ष चार वर्ष पहले किरीब बारह हजार करोड़ रुपए राजस्व मिलता था,अब छत्तीस हजार करोड़ रुपए मिल रहा है। स्टाम्प एवं निबंधन में नौ से दस हजार करोड़ रुपए मिलता था,जो अब  पच्चीस हजार करोड़ मिलता है। मंडी शुल्क में छह से आठ सौ करोड़ रुपए मिलता था,अब दो हजार करोड़ रुपए प्राप्त होता है। इसी प्रकार पूर्व में माइनिंग से उत्तर प्रदेश को करीब तेरह सौ करोड़ रुपए की आय ही होती थी, जो अब बढ़कर बयालीस करोड़ रुपये तक हो गयी है। यह चुस्त प्रशासन,सही नीयत तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश का परिणाम है। सुशासन से यहां ईज आफ लिविंग बेहतर हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक प्रदेश में चालीस लाख से अधिक गरीबों को आवास दिए गए।

इसी प्रकार एक करोड़ अड़तीस लाख घरों में निःशुल्क विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं। सत्तासी  लाख से अधिक लोगों को वृद्धावस्था, महिला व दिव्यांगजन पेंशन दी गई हैं। हर घर नल योजना के तहत तीस हजार ग्राम पंचायतों में शुद्ध पेयजल योजना लागू की गई है। बिजली आपूर्ति का पूरा परिदृश्य ही बदल गया।  आज प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर चौबीस घण्टे,तहसील मुख्यालय कारीब बाइस घण्टे, ग्रामीण क्षेत्र में सोलह से सत्रह घण्टे बिजली आपूर्ति दी जा रही है। आने वाले समय में पूरे प्रदेश में चौबीस घण्टे विद्युत आपूर्ति देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर एवं कनेक्टिविटी से परिवेश बदला है। आज प्रदेश में एयरपोर्ट,हवाई पट्टी विकास,पूर्वांचल एक्सप्रेस वे,बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे,गंगा एक्सप्रेसवे,गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे के कार्य हो रहे हैं।

प्रदेश के हर जिला मुख्यालय को फोर लेन से तथा तहसील मुख्यालयों और विकास खण्ड मुख्यालयों को दो लेन से जोड़ने की कार्यवाही की जा रही है। पिछले चार वर्ष में सवा लाख करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया। किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए एमएसपी की व्यवस्था लागू करते हुए उनसे प्रोक्योरमेन्ट किया जा रहा है। किसानों को उनका भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ का दावा है कि सपा बसपा व कांग्रेस की सरकारों तुलना में भाजपा सरकार के चार वर्ष भारी है। पिछले चार सालों में सरकार ने निवेश।रोजगार,महिला अपराध, किसानों को भुगतान करने में प्रतिबद्धता के साथ काम किया है।

निवेश में यूपी आज दूसरे नम्बर पर है,जो कभी सत्रहवें नम्बर पर होता था। गरीबों को आवास देने,रसोई गैस कनेक्शन,किसानों की आय को दोगुना करने के लिए जो केन्द्र सरकार ने नीतियां बनाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चार वर्ष पहले के प्रिक्योरमेंट के आंकड़े उठा कर देख लीजिए पहले पांच लाख से सात लाख मिट्रिक टन के आंकड़े आते थे। अब अड़सठ लाख मीट्रिक टन प्रिक्योरमेंट किया गया। डीबीटी के माध्यम से पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजा। सीएम ने कहा कि पहले मकई का समर्थन मूल्य ग्यारह रूपए था,जो बढ़ा कर अठारह सौ रुपए किया।

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