लखनऊ। एचसीएल फाउंडेशन, भारत में एचसीएल टेक्नोलॉजीज की कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी शाखा और सेसमे वर्कशॉप–इंडिया ट्रस्ट, गैर लाभकारी मीडिया और शैक्षणिक संगठन, जो कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के मनपसन्द टीवी शो सेसमे स्ट्रीट के लिए मशहूर है, ने आज एक नए और अपने तरह के अनूठे अभियान ‘डैडी कूल’ को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लॉन्च किया।
‘डैडी कूल’ अभियान बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और समग्र विकास में पिता के सकारात्मक जुड़ाव को बेहतर करने पर केंद्रित है, इसके लिए पिताओं की भूमिका पर आधारित रेडियो, विडियो एवं सोशल मीडिया कंटेंट विकसित किया जा रहा है, जो पिताओं को विभिन्न तरीकों से अपने अपने बच्चों की ज़िन्दगी में जुड़ने के तरीकों को अपनाने और उनके फायदों के बारे में जागरूक और प्रेरित करेगा। यह अभियान उस सामाजिक सोच को बदलने का प्रयास है, जो पुरुष और महिला अभिभावकों और बच्चों की देखभाल करने वालों की रूढ़िवादी भूमिकाओं को तोड़ता है ताकि पिता बतौर अभिभावक अधिक सकारात्मकता से अपने बच्चों के जीवन में शामिल हो पाएं।
लखनऊ के शहरी इलाकों के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले 25-44 वर्ष की आयु के पिताओं को लक्षित कर ‘डैडी कूल’ अभियान रेडियो और सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए पिताओं के छोटे बच्चों के साथ पैतृक जुड़ाव के महत्व पर आधारित है।
इस कैंपेन के माध्यम से रेडियो चैनलों पर सार्वजनिक घोषणाओं के साथ-साथ विशेषज्ञों के साथ चर्चा भी शामिल होगी। इसके अलावा YouTube, Facebook, Twitter, Instagram जैसी सोशल मीडिया साइट्स के ज़रिये भी लोगो के बीच वीडियो को प्रसारित किया जाएग। इस अभियान में बाल्यकाल में बच्चों की शिक्षा और देखभाल व लिंग आधारित विषयों पर कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ साथ शिक्षा विशेषज्ञों और प्रभावितों के साथ भागीदारी की जाएगी।
यह पहल बच्चों के शुरुआती सीखने, शिक्षा और विकास में पिता की भूमिका का पता लगाने के लिए पिछले साल किए गए आधारभूत अध्ययन के निष्कर्षों पर आधारित है। लखनऊ में सामाजिक-आर्थिक श्रेणियों में एक समान विभाजन के साथ, एचसीएल फाउंडेशन और सेसमे वर्कशॉप–इंडिया ट्रस्ट ने लखनऊ में 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के 345 बच्चों के बीच अध्ययन किया था। आधारभूत अध्ययन से जो प्रमुख निष्कर्ष सामने आया, वह यह था कि महामारी के चलते पिताओं को अपने बच्चों के करीब आने का अवसर मिला हैं। अध्ययन में मौजूदा पेरेंटिंग रुझानों और कोविड के चलते उत्पन्न स्थिति के कारण बच्चों के साथ बिताए समय में बदलाव, जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल, मीडिया की खपत, सोशल मीडिया पर बिताए गए समय और इंगेजमेंट के पैटर्न के बारे में भी बताया गया है।
इन निष्कर्षों का उपयोग सेसमे वर्कशॉप–इंडिया ट्रस्ट द्वारा उचित एवं लक्षित कंटेंट को विकसित करने और पिताओं को जागरूक करने के लिए, डैडी कूल कैम्पेन को अधिक असरदार बनाने बनाने के लिए किया गया है, ताकि पिताओं की दिनचर्या में बच्चे के साथ उनका जुड़ाव बच्चों के समग्र विकास में मदद कर सके।
एचसीएल फाउंडेशन की निदेशक, निधि पुंढीर ने इस अध्ययन और अभियान के विषय में जानकारी देते हुए बताया, “आधारभूत अध्ययन व अनुसंधान के नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं और यह दर्शाता हैं कि आज सामाजिक आर्थिक श्रेणियों के पिता अपने बच्चे के शुरुआती शिक्षा और विकास में उनकी भागीदारी के महत्व को भली भांति समझते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “हम सेसमे वर्कशॉप-इंडिया ट्रस्ट के साथ इस पहल में भागीदार हैं और बच्चों और परिवारों के साथ अपनी भूमिका बढ़ाने में संसाधनों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस अध्ययन और कैम्पेन का उद्देश्य बच्चों के जीवन में पिता की भागीदारी को प्रोत्साहित करने और उन्हें लैंगिक समानता के साथ पारिवारिक भलाई के सह-योगदानकर्ता के रूप में देखने के तरीके खोजने के लिए है। हालांकि बाल विकास के लिए माता-पिता दोनों की क्षमता को विकसित करने के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है लेकिन पिताओं पर केन्द्रित अभी तक कुछ ख़ास प्रयास नहीं हुए है।”
सोनाली खान, प्रबंध निदेशक सेसमे वर्कशॉप-इंडिया ट्रस्ट ने कहा, “अध्ययन के दौरान पता चला कि एक पिता अपने बच्चों के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। उनकी भागीदारी बच्चों की समग्र सामाजिक क्षमता, परिपक्वता और दूसरों के साथ संबंधित क्षमता के लिए सकारात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। पिताओं की ताकत एवं जरूरतें अपने आप में अनोखी होती हैं। एचसीएल फाउंडेशन के साथ मिलकर, हमने इस पहल की शुरुआत की है तकि सभी पिता अपनी पैतृक क्षमताओं को समझकर अपने बच्चों को उनके सपनों को हासिल करने में मदद कर सकें।”
उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि सेसमे स्ट्रीट के प्यारे किरदारों के ज़रिये हम यह बता सकते हैं कि पिता उनके बच्चों और परिवार के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। और कैसे उन्हें बच्चों के साथ अच्छे और सकारात्मक संबंध बनाने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है। डैडी कूल अभियान का उद्देश्य बच्चे की परवरिश में लैंगिक भूमिका में सुधार लाना है। इसका उद्देश्य पिता और बच्चे के बीच बिताए समय में वृद्धि से लेकर, नई चीजों को सीखने के अनुभव को रोचक बनाने तक- रोज़ाना की दिनचर्या में बच्चों की देखभाल करने वाले कामों में पहले के मुकाबले ज़्यादा भागीदारी, बच्चों से बातचीत और उन्हें अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके, बच्चे के साथ वक़्त बिताने के और अधिक सकरात्मक तरीकों के बारे जानकारी बढाकर उन्हें जागरुक करना है।”