खाने की थाली में पोषक तत्व बढ़ाने के लिए ज्वार, बाजरा, सांवा, कोदों, रागी, मडुआ आदि के बने व्यंजन एक बार फिर बढ़ेंगे। कोरोना संकट काल में जनसामान्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़े असर के बाद विशेषज्ञों को मोटे अनाज के पोषक तत्वों का खयाल आया है। योगी आदित्यनाथ सरकार मोटे अनाज पर 200 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
शोध और अध्ययन शुरू हुए तो यह पाया गया कि हरित क्रांति के नाम पर गेहूं और चावल की बढ़ती खेती ने लोगों की थाली से मोटे अनाज गायब ही कर दिए। कभी यही मोटे अनाज ही लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ हुआ करते थे। हरित क्रांति के नाम पर खाद्यान्न की जरूरत तो पूरी हुई, मगर पोषण खत्म हो गया और इससे नई-नई बीमारियां बढ़ीं। मोटे अनाज का निरंतर सेवन मधुमेह, पेट से जुड़ी बीमारियां, हृदयरोग सम्बंधी व्याधियों पर प्रभावी नियंश्रण रखता है। यह बात फिर से लोगों की समझ में आने लगी है।
इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाज पुनरोद्धार कार्यक्रम पर ( जनवरी 2023- 2026-27) 186.27 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। वर्ष 2021-22 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मोटे अनाज की फसलों का उत्पादन आंका गया। इसमें बाजरा, ज्वार, कोदो एवं सावा का रकबा क्रमशः 9.05 , 1.71, 0.02, 0.05 लाख हेक्टेयर रहा। 2026-27 तक इनकी बोआई का रकबा बढ़ाकर तक 25 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य योगी सरकार ने तय किया है।
मोटे अनाज का रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम राज्य से लेकर ब्लाक स्तर पर चलाए जाएंगे। इसके तहत हर साल 72,500 किसानों को हर साल मोटे की बेहतर खेती के तौर-तरीकों के बाबत प्रशिक्षित किया जाएगा। इस तरह चार साल में कुल 2.9 लाख किसान लाभान्वित होंगे। इस तरह मिलेट्स फसलों के क्षमतावर्धन एवं प्रचार-प्रसार पर चार वर्षों में 111.50 करोड़ रुपये का व्यय आएगा।
मोटे अनाज के बीजोत्पादन के लिए सरकार वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को चार लाख रुपये प्रति एफपीओ की दर से सीड मनी उपलब्ध कराया जायेगा। इससे भविष्य में प्रदेश में मिलेटस की विभिन्न फसलों के बीज स्थानीय स्तर पर कृषकों को उपलब्ध हो सकेंगे। इस कार्यक्रम पर चार वर्षों में 7.20 करोड़ रुपये का व्यय आएगा।