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पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस इस पार्टी के साथ कर सकती है समझौता

पश्चिम बंगाल में बीजेपी (बीजेपी) को रोकने के लिए कांग्रेस 2021 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के साथ समझौते की संभासना तलाश रही है.इसको लेकर टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं के साथ कांग्रेस पार्टी ने अनौपचारिक वार्ता प्रारम्भ कर दी है.

 

संसद के बजट सत्र के अंतिम हफ्ते में पूर्व कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने टीएमसी के लोकसभा प्रमुख सचेतक कल्याण बनर्जी से लगभग आधे घंटे तक वार्ता की. राहुल गांधी ने बनर्जी से पूछा कि टीएमसी के लिए प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल के रूप में किसे देखती है. गांधी ने कांग्रेस पार्टी  तृणमूल के बीच समन्वय बढ़ाने की भी बात कही.यह सुनिश्चित करने के लिए, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व टीएमसी प्रमुख  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ही अंतिम निर्णय लेंगी.

 

राहुल गांधी  कल्याण बनर्जी की मुलाकात के अतिरिक्त इसी मामले पर तृणमूल के लोकसभा नेता सुदीप बंदोपाध्याय  पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बीच भी एक अन्य अनौपचारिक वार्ता हुई.

सीपीआईएम के नेतृत्व वाली वामपंथी पार्टियों ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी  तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने 2009 में गठबंधन किया था. दोनों पार्टियों ने 2011 का विधानसभा चुनाव भी साथ लड़ा था, लेकिन 2013 में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद के चलते गठबंधन टूट गया था.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बोला कि कांग्रेस पार्टी को बंगाल में अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करना है, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा चुनावी प्रदेश है  लोकसभा में 42 प्रतिनिधियों को भेजता है. 2016 विधानसभा चुनावों में हमने वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन कम्युनिस्ट अब समाप्त हो चुकी है. हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि कांग्रेस पार्टी बंगाल में भाजपा को अकेले नहीं हरा सकती है.

पिछले लोकसभा चुनावों में तृणमूल को प्रदेश में 43.3 प्रतिशत वोट मिले, जबकि भाजपा 40.3 प्रतिशत के साथ दूसरे जगह पर रही. सीपीआईएम का भाग 6.3 प्रतिशत रहा, जबकि कांग्रेस पार्टी को 5.6 प्रतिशत वोट मिले. सीटों के संदर्भ में टीएमसी को 2019 में 22 सीटें मिली जबकि 2014 में 34 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2014 में भाजपा को दो सीटें मिली थीं  2019 में 18 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं वाम दल अपना खाता नहीं खोल पाए  कांग्रेस पार्टी ने दो सीटें जीतीं.

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