साल 1932, यह वह साल था जब भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने सफर की शुरुआत की थी। उसने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला। इसके बाद टीम छह बार इंग्लैंड का दौरा कर चुकी थी। यह सातवें दौरे का तीसरा टेस्ट मैच था। इंग्लैंड के ओवल मैदान पर अजीत वाडेकर की कप्तानी वाली टीम ने वह कर दिखाया जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है।
इंग्लैंड ने पहली पारी में 355 रन बनाए और जवाब में भारतीय टीम 284 रनों पर ऑल आउट हो गई। इंग्लिश टीम को 71 रनों की बढ़त मिली। दूसरी पारी में भारत ने इंग्लैंड को सिर्फ 101 रनों पर समेट दिया। भागवत चंद्रशेखर की फिरकी के सामने इंग्लिश बल्लेबाज संघर्ष करते नजर आए। चंद्रा ने 38 रन देकर 6 विकेट लिए।
अब भारत के सामने 173 रनों का लक्ष्य था। इंग्लैंड के कप्तान रे लिंगवर्थ ने अच्छी गेंदबाजी की लेकिन भारत के सामने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए डेढ़ दिन का समय था। विकेट धीमा था और भारत ने भी लक्ष्य हासिल करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। वाडेकर ने 45 रन और दिलीप सरदेसाई ने 40 रनों की पारी खेली। फारुख इंजिनियर 28 रन बनाकर नाबाद रहे।
आखिरी 97 रन बनाने में भारत ने तीन घंटे का समय लिया लेकिन आखिर उसने लक्ष्य हासिल कर ही लिया। इंग्लैंड का 26 टेस्ट मैचों से चला आ रहा अजेय रेकॉर्ड भी टूट गया। भारत ने सीरीज भी 1-0 सी जीती।