इन्फोसिस (Infosys) के पूर्व मुख्य वित्तीय ऑफिसर (CFO) व विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने वाले मोहनदास पई ने बोला है कि हिंदुस्तान में रोजगार की समस्या नहीं है बल्कि वेतन की परेशानी है। उन्होंने बोला कि कम वेतन वाली कई नौकरियां हैं, लेकिन वो डिग्रीधारकों के अनुकूल नहीं हैं। पई ने कहा, ‘भारत में अच्छी नौकरियां पैदा नहीं हो रहीं।हालांकि, 10,000-15,000 रुपये की नौकरियां बहुत हैं, पर ये डिग्रीधारकों की आकांक्षाओं से कम सुन्दर होती हैं। हिंदुस्तान में वेतन की परेशानी है, रोजगार की नहीं। ‘ उन्होंने बोलाकि हिंदुस्तान में क्षेत्रीय एवं भौगोलिक समस्याएं भी हैं। शोध व विकास में निवेश की जरूरत- पई
पई ने सुझाया कि हिंदुस्तान को चाइना की तरह श्रम गहन उद्योग खोलने चाहिए व तटों के निकट बुनियादी ढांचे का विकास करना चाहिए। उन्होंने बोला कि शोध व विकास में बहुत ज्यादा निवेश किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें देखना चाहिए कि चाइना ने क्या किया है। उन्होंने श्रम आधारित उद्योगों की आरंभ की। इसके बाद उसने संसार को आमंत्रित किया व उसके श्रम बल का प्रयोग करने को बोला व निर्यात उद्योग प्रारम्भ किया। ‘
पई ने CMII के आंकड़ों पर भी उठाए सवाल
पई ने बेरोजारी के विषय में सेंटर फार मोनिटरिंग भारतीय इकॉनमी (सीएमआईई) के उस आंकड़ों को त्रुटिपूर्ण बताया जो 2018 में 1.1 करोड़ लोगों की जॉब गयीं। उन्होंने कहा, ’15-29 वर्ष आयु वर्ग के लोगों की बेरोजगारी को लेकर किए गए सर्वेक्षण की पद्धति में दिक्कतें हैं। ‘ पई ने बोला कि नौकरियों को लेकर सबसे सटीक आंकड़ा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का है, जिसके मुताबिक हर वर्ष करीब 60-70 लाख लोगों को संगठित क्षेत्र में रोजगार मिलते हैं।