बिहार के मुजफ्फरपुर में लगातार हो रहीं बच्चों की मौतों से सारा देश हिल गया है. मृत्यु का आंकड़ा 100 पार कर चुका है व दशा बद से बदतर होते जा रहे हैं. जिस बुखार की वजह से इतने बच्चों की मौतें हो रही हैं इसे चमकी बुखार नाम दिया गया है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) भी बोला जाता है. जानते हैं इस बीमारी के बारे में. अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) होता क्या है?
अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है व वह भी खासतौर पर बच्चों में. इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो
शुरुआत तेज बुखार से होती है
फिर शरीर में ऐंठन महसूस होती है
इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है
मानसिक भटकाव महसूस होता है
बच्चा बेहोश हो जाता है
दौरे पड़ने लगते हैं
घबराहट महसूस होती है
कुछ केस में तो पीड़ित आदमी कोमा में भी जा सकता है
अगर समय पर उपचार न मिले तो पीड़ित की मृत्यु हो जाती है. आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है.
कारण
डॉक्टर्स इस बुखार की ठीक-ठीक वजह का पता अब भी नहीं लगा पाए हैं. इसे लेकर तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं.
गर्मी
कई चिकित्सक भीषण गर्मी को भी बीमारी से जोड़कर देख रहे हैं. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन एसपी सिंह ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘एइएस के बढ़ते मामलों व इस वर्ष मौतों में इजाफे के लिए निश्चित रूप से बढ़ती गर्मी की भी अहम किरदार है.‘ बता दें कि 1 जून से मुजफ्फरपुर में तापमान लगातार 40 डिग्री से ऊपर पंजीकृत हुआ है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी, उमस, गंदगी व कुपोषण बीमारी के विस्तार की अहम वजहें हैं.
लीची
शुरुआत में यह भी बोला गया कि बच्चों की मौतें लीची खाने की वजह से हो रही हैं. लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें hypoglycin A वmethylenecyclopropylglycine (MPCG) बोला जाता है, शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं. इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर लो लेवल में चला जाता है व मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें प्रारम्भ हो जाती हैं व भ्रमण पड़ने लगते हैं.
क्या करें
ऐसे में जब चमकी बुखार के कारणों का ही अच्छा से पता नहीं है, इससे बचाव का कोई सटीक तरीका भी नहीं है. हालांकि, कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए.
बच्चे को धूप व गर्मी से बचाकर रखें. पोषक आहार खिलाएं व शरीर में पानी की कमी न होने दें.
खाली पेट लीची बिल्कुल न खाएं. अगर प्रातः काल उठकर बच्चे को चक्कर आएं या कमजोरी महसूस हो तो उसे तुरंत ग्लूकोज या चीनी घोलकर पिला दें. अगर यह समस्या शुगर लो होने की वजह से हुई होगी तो ग्लूकोज पीने से अच्छा हो जाएगी.
किसी भी तरह के बुखार या अन्य बीमारी को नजरअंदाज न करें. बुखार आने पर तुरंत चिकित्सक के पास जाएं.