गले में संक्रमण की वजह वायरल माना जाता है लेकिन यह बैक्टीरिया संक्रमण से भी होने कि सम्भावना है. इसलिए किसी का जूठा खाने व कपड़े के इस्तेमान से बचें. बेहद गर्म व ठंडी चीजें भी एक साथ न लें. ओरल हाइजीन (मुंह की सफाई) का ध्यान रखना चाहिए.
अजवाइन-मुलैठी के पानी से भाप लें, गरारे करते रहें
ब चाव के लिए गुनगुने पानी में सिरके की बूंदे व नमक मिलाकर प्रतिदिन गरारे करें. ज्यादा समस्या हो तो हर ३ घंटे में दोबारा कर सकते हैं. इसके बाद ठंडी चीजें न लें.
रोज प्रातः काल ब्रश करने के बाद एक-एक चम्मच शहद-अदरक का रस लें.
गले में दर्द है तो अजवाइन, मुलैठी व नीलगिरी के ऑयल का भाप लें.
टॉन्सिल बढ़े हों तो कच्ची हल्दी को उबालकर पीएं. कच्ची हल्दी को गले के नीचे रखने से भी फायदा मिलता है. लार के साथ अंदर जाने दें. इसके बाद पानी न पीएं.
मुलैठी व पान के पत्ते को एक साथ चबाने से भी गले के दर्द व सूजन में आराम मिलता है.
शाम को ४-५ मुनक्के के बीज को चबाने से भी गले के दर्द और खराश में राहत मिलती है.
नमी वाली स्थान न रखें ब्रश
ब्रश को साफ करने के लिए गर्म पानी में एक चुटकी नमक डालकर धो लें. इससे ब्रश साफ हो जाता है. ब्रश को नमी वाले जगह पर ना रखें, इसमें बैक्टीरिया पनप जाते हैं.