लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठों की किरदार को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस पार्टी कार्यसमिति की 25 मई को हुई मीटिंग में महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कुछ वरिष्ठ नेताओं की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जाहिर की थी. प्रियंका ने तल्ख लहजे में बोला था कि कांग्रेस पार्टी के हत्यारे इसी कमरे में बैठे हैं. इसी मीटिंग मेंराहुल ने भी वरिष्ठ नेताओं द्वारा अपने बेटों के लिए टिकट मांगने की जिद पर नाराजगी जाहिर की थी.
न्यूज एजेंसी यूएनआई को सूत्र ने बताया कि गांधी परिवार ने इस मीटिंग में कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा राहुल को जरूरीसमर्थन ना देने पर नाराजगी जाहिर की थी. परिवार की नाराजगी स्पष्ट थी, क्योंकि सोनिया भी पूरी मीटिंग के दौरान नहीं बोलीं व यह जाहिर किया कि उन्हें भी अपने विश्वस्त साथियों से निराशा हासिल हुई.
इस्तीफे पर विचार के लिए राहुल को एक महीने का वक्त मिले- प्रियंका
सूत्र के मुताबिक, प्रियंका ही पहली नेता थीं, जिन्होंने यह सुझाव दिया कि राहुल को अपने इस्तीफे पर विचार के लिए एक महीने का समय दिया जाए. कांग्रेस पार्टी नेताओं के साथ अपनी वार्ता में भी प्रियंका व राहुल ने कई नेताओं की कार्यप्रणाली को ठीक नहीं ठहराया.
राहुल ने बोला था- नेताओं ने अपने हितों को पार्टी से ऊपर रखा
सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राहुल गांधी ने कुछ नेताओं द्वारा अपने बेटों को टिकट देने के लिए अड़ने पर नाराजगी जाहिर की थी. राहुल ने साफतौर पर बोला था कि इन नेताओं ने अपने हितों के लिए पार्टी के हित को दरकिनार कर दिया. नाराज राहुल ने बोला था कि लोकसभा चुनाव की पराजय पर अध्यक्ष होने के नाते उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए व त्याग पत्र दे देना चाहिए.
बैठक में चुप रहे चिदंबरम व गहलोत
सूत्र के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत व वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम चुपचाप थे. वहीं, मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ इस मीटिंग में शामिलनहीं हुए.कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मप्र की छिंदवाड़ा व चिदंबरम के बेटे कार्ति तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से लोकसभा चुनाव जीते. वहीं, अशोक गहलोत के बेटे वैभव जोधपुर सीट से चुनाव पराजय गए.