Breaking News

सूखे की चपेट में आधे से ज्यादा भारत, झील-तालाब में सूखा पानी

मौसम विभाग की माने धीमे रफ्तार के बाद अब मानसून रफ्तार पकड़ने वाली है। मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और कर्नाटक के बाकी हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है। साथ ही तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में भी मॉनसून का आगाज हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटे में मानसून दक्षिण गुजरात और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहुंचने की संभावना है। मानसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं।

गौरतलब कि इस साल मानसून में फिलहाल 43 फीसदी की कमी रही है। मध्य भारत पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है जहां बारिश औसत से 54 फीसदी कम रही है। मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में सूखे को लेकर चौंकाने वाले हालात हैं। आंकड़ों के अनुसार आधे से ज्यादा देश के हिस्सों में सूखे की स्थिति है। कई इलाको में झीलों का पानी सूख रहा है, ग्राउंड वाटर लेवल कम हो रहा है। तय समय पर मानसून नहीं आने की वजह से हालात और गंभीर हो गया है। लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। खराब मानसून की वजह से गर्मी के सीजन में लगाई जाने वाली कई फसलों पर भी इसका असर पड़ा है।

देश के अधिकतर इलाके काफी ज्यादा सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां बारिश काफी कम हुई है। मौसम विभाग की मानें तो 22 जून तक मानसून 39 फीसदी कम रहा है, हालांकि पिछले कुछ दिनों में बारिश के बाद माना जा रहा था कि हालात बेहतर होंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य सूखे के हालात से गुजर रहे हैं। मानसून में देरी की वजह से सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। हालांकि आने वाले हफ्ते में हालात बेहतर हो सकते हैं। मौसम विभाग के अनुसार देश के 51 फीसदी हिस्सों में बारिश अपेक्षाकृत कम हुई है। जिसकी असर खेती पर भी पड़ा है।

सेंट्रल वॉटर कमीशन के आंकड़े के अनुसार 20 जून तक देश के 91 राष्ट्रीय बेसिन और जलाशयों में पानी की कमी है, जिसकी वजह से बिजली उत्पादन और पीने के पानी पर असर पड़ा है। यह पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। वहीं 10 साल के आंकड़ों के लिहाज से यह राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। तेलंगाना में जलाशयों की बात करें तो यह सामान्य स्तर से 36 फीसदी कम है। आंध्र प्रदेश में यह 83 फीसदी, कर्नाटक में 23 फीसदी, तमिलनाडु में 43 फीसदी, केरला में 38 फीसदी सामान्य से कम है। औसत संचय की बात करें तो यह पिछले 10 साल के औसत से कम है।चेन्नई उन शहरों में शामिल है जहां पीने की पानी की काफी ज्यादा दिक्कत है। तमिलनाडु के तीन जलाशय पूंडी, चोलावरम, चेंबरंबकम जोकि पूरे चेन्नई को पानी मुहैया कराते हैं, यहां पानी काफी कम हो गया है। कई पानी के संसाधन भी सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं।

About Aditya Jaiswal

Check Also

डेंगू के लिए जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेदार

विश्व स्तर पर डेंगू संक्रमण (Dengue Infection) के बढ़ते मामलों के बीच, एक नए अध्ययन ...