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यूपी में “सीएम” की राह कठिन

लखनऊ. उत्तराखंड में रावत के नाम पर मुहर लगने के बाद यूपी में मुख्यमंत्री के लिए सियासी हलचल तेज हो गई है। सवाल यह उठ रहे हैं कि उत्तराखंड में बतौर सीएम राजपूत चेहरा आगे करने के बाद क्या बीजेपी यूपी में भी इस प्रकरण को दोहरायेगी या फिर ऐसा मान लिया जाए कि राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ सीएम रेस से बिलकुल ही बाहर हो गए हैं। फ़िलहाल राजनाथ ने अपने आप को सीएम न बनने की बात कहकर खुद को इस दौड़ से पहले ही बाहर कर लिया है। अब जिन लोगों का नाम मुख्य रूप से सामने आ रहा है उनमें सबसे पहला नाम मनोज सिन्हा का है, इसके बाद सिद्धार्थ नाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ और फिर रामलाल प्रमुख हैं। गाहेबगाहे केशव मौर्य, दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना का नाम भी उनके समर्थक उछाल रहे है।

लखनऊ में 18 मार्च को विधायक दल की बैठक रखी गई है। जिसमें यूपी के मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जा सकती है। यूपी में राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ, दोनों ही राजपूत जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और दोनों का ही नाम सीएम पद की रेस में माना जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या उत्तराखंड की तरफ ही यूपी में भी बीजेपी राजपूत सीएम देगी??? यूपी में बीजेपी ने जिस तरह पिछड़ी जाति, गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित वोटों के लिए व्यूह रच कर सफलता अर्जित की है उस आधार पर ऐसी संभावना पर संशय के बादल नजर आ रहे हैं। वैसे पूर्व में राजनाथ सिंह ने खुद को सीएम रेस से बाहर बताया था।

यूपी में सीएम पद की रेस में उक्त दोनों के अलावा यूपी बीजेपी प्रमुख केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा के साथ महेश शर्मा, सतीश महाना, श्रीकांत शर्मा और दिनेश शर्मा का भी नाम चल रहा है। सूत्रों की मानें तो मनोज सिन्हा रनर समझे जा रहे हैं। यूपी में जिस जातिगत समीकरण को बीजेपी की अद्भुत जीत की वजह समझा जा रहा है उसमें केशव प्रसाद मौर्य की भी दावेदारी भी मजबूत समझी जा रही है। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का वह बयान इस संदर्भ में अहम है कि सीएम चुनने की जिम्मेदारी मौर्य की है। इसके बाद ऐसी बातें भी उठीं कि क्या मौर्य खुद अपना नाम अागे करेंगे??? एक सवाल के जवाब में मौर्य ने कहा था कि इसके लिए कई नाम आलाकमान को भेजे गए हैं और उन्होंने खुद अपना नाम भी भेजा है। यानी वह खुद को रेस में मान रहे हैं।

पहले मनोज सिन्हा भी इस सवाल के जवाब में बोल चुके हैं कि न तो मैं रेस में हूं और न ही मुझे किसी रेस के बारे में पता है। लेकिन जिस तरह से आज उन्होंने वाराणसी पहुंचकर कशी के कोतवाल और संकटमोचन मंदिर में पूजा अर्चना की उसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात यह होगी कि शनिवार को विधायक दल की बैठक में यूपी का ताज किसके सिर रखा जायेगा।

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