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ट्रंप की नसीहत तेहरान तक पहुंचाएंगे पीएम शिंजो आबे…

जापान के पीएम शिंजो आबे एक विशेष कूटनीतिक मिशन पर बुधवार को तेहरान पहुंचे. उनकी इस यात्रा का उद्देश्य ईरान  अपने सहयोगी देश अमेरिका के बीच तनाव घटाने की प्रयास करना है. सरकारी टीवी ने एक विडियो फुटेज जारी किया है, जिसमें तेहरान के मेहराबाद हवाई अड्डे पर ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ उनकी अगवानी करते दिख रहे हैं. आबे गैर-आधिकारिक तौर पर तेहरान में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दूत के तौर पर मौजूद हुए हैं. दुनिया में इस यात्रा को दोनों राष्ट्रों के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता के तौर पर देखा जा रहा है. 41 वर्ष बाद किसी जापानी पीएम की ईरान यात्रा 
पिछले 41 बरसों में ईरान की यात्रा करने वाले वह प्रथम जापानी पीएम हैं. 1978-79 की इस्लामिक क्रांति के बाद यह किसी जापानी पीएम की पहली ईरान यात्रा है. ईरान  जापान के बीच कूटनीतिक संबंधों के लिहाज से यह 90वां वर्ष है. आबे का राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ बातचीत करने  ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी के साथ मुलाकात करने का प्रोग्रामहै. बता दें कि 2015 के परमाणु समझौते से पिछले वर्ष मई में अमेरिका के हटने के बाद तेहरान का वॉशिंगटन के साथ गतिरोध बढ़ गया. उस वक्त से अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं.

ट्रंप की नसीहत तेहरान तक पहुंचाएंगे आबे? 
जापान के पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति के जापान भ्रमण के बाद हुई है. आबे के प्रवक्ता ने भी इसकी पुष्टि की है कि ट्रंप  उनके जापानी समकक्ष के बीच ईरान को लेकर विस्तृत वार्ता हुई.जापान को आम तौर पर अमेरिका के विश्वस्त कूटनीतिक सहयोगी के तौर पर देखा जाता है. जापान की विदेश नीति पर भी अमेरिका का गहरा असर रहा है. हालांकि, कुछेक मौके ऐसे भी रहे जब जापान ने अमेरिका के विरूद्ध बगावती तेवर दिखाए. 1990-91 खाड़ी युद्ध के दौरान जापान ने अपनी सेल्फ डिफेंस फोर्स को इराक भेजने से मना कर दिया था. दूसरे दुनियायुद्ध के बाद से ही अमेरिका जापान की नैशनल सिक्यॉरिटी का गारंटर है  दोनों राष्ट्रों के मध्य रक्षा समझौता हुआ था.

घरेलू मोर्चे पर ऑयल कीमतों को लेकर आबे परेशान

पश्चिमी एशिया में पिछले कुछ वक्त में तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है. ईरान ने साउथ अरेबियन समुद्र में हौती विद्रोहियों के ऑयल संपदा को नुकसान पहुंचाने का समर्थन किया था.आबे के तेहरान पहुंचने से अच्छा पहले हौती विद्रोहियों ने सऊदी के एक एयरपोर्ट अबहा पर हमला कर दिया जिसमें 26 लोग घायल हो गए. इन घटनाओं का प्रभाव कच्चे ऑयल की वैश्विक कीमतों पर भी पड़ रहा है. जापान अपनी घरेलू जरूरतों का 80% ऑयल आयात करता है. अमेरिका के परमाणु समझौते से अलग होने  ईरान पर लगाए सख्त प्रतिबंधों के बाद जापान ने ईरान से 5% ऑयल आयात कम कर दिया है. इसका प्रभाव घेरलू मोर्चे पर ऑयल कीमतों में उछाल के तौर पर होने कि सम्भावना है.

आबे के लिए ईरान को विश्वास में लेना सरल नहीं 
आबे ने ईरान रवाना होने से पहले कहा, ‘पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से पैदा हुई चिंताओं  इस मामले पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान होने के मद्देनजर जापान क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहता है.’हालांकि, ईरान का विश्वास जीतना जापान के लिए कोई सरल कार्य नहीं है. जापान को ईरान अमेरिका के विश्वस्त सहयोगी के तौर पर देखता है. आबे की यात्रा से पहले एक ईरानी अखबार ने कॉर्टून प्रकाशित किया जिसमें मशरूम शेड के नीचे न्यूक्लियर डील को दिखाया गया है. इस कॉर्टून के साथ कैप्शन है, ‘एक युद्ध क्रिमिनल पर आप कैसे भरोसा कर सकते हैं श्रीमान आबे?’ इस कॉर्टून का आशय द्वितीय दुनिया युद्ध में जापान पर अमेरिका के गिराए बम धमाकों से है.

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