नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर को लेकर एतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने आज राज्यसभा में कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश कर दिया है। जिसके तहत अनुच्छेद 370 का खात्मा किया जाएगा। गृह मंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के सिवा इस अनुच्छेद के सारे खंडों को रद्द करने की सिफारिश की। वहीं विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैया हैं। बिल के पेश होने के बाद से ही विपक्षी नेता सदन में हंगामा कर रहे हैं। जिसके बाद सदन को थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा।
विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोमवार को संसद भवन के अंदर बैठक की और जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के हालात पर चर्चा की। यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब अटकलें तेज है कि कैबिनेट बैठक में राज्य को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। विपक्षी पार्टियों ने कश्मीर मसले पर चर्चा के लिए लोकसभा और राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है। सीपीआई, सीपीआई (एम), आरजेडी, आप, टीएमसी, डीएमके के नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। वहीं राज्यसभा में पीडीपी में के सांसदों ने कश्मीर मसले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
सियासी हलचल को अनुच्छेद 35 ए, अनुच्छेद 370, राज्य में परिसीमन, राज्य को तीन हिस्से में बांटने जैसे कई मुद्दों से जोड़ा जा रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस सियासी हलचल का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है। सरकार वहां विधानसभा चुनाव से पहले इन मुद्दों पर हाथ नहीं डालेगी। मामला पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) सहित सीमा पार के दूसरे मामलों से जुड़ा है।
भविष्य में इसी से जुड़े मुद्दों पर सरकार कोई बड़ा फैसला कर सकती है। जहां तक घाटी में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने की बात है तो यह स्वतंत्रता दिवस को ले कर है। गौरतलब है कि दशकों बाद पहली बार घाटी के गांव गांव में तिरंगा झंडा फहराए जाने की संभावना है।
राज्य को विशेष दर्जे की गारंटी देने वाले सांविधानिक प्रावधानों को रद्द करने, परिसीमन करने या राज्य के तीन हिस्सों में बंटवारे की कोशिश से जुड़े किसी कदम का राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों ने विरोध करने का एलान किया है।
नेकां प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला के आवास पर रविवार शाम हुई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया। पहले यह बैठक पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के आवास पर होनी थी, लेकिन डॉ. अब्दुल्ला की खराब सेहत की वजह से बैठक उनके आवास पर ही हुई।
बैठक में पारित प्रस्तावों को गुपकार घोषणापत्र का नाम दिया गया है। बैठक के बाद नेकां प्रमुख डॉ. अब्दुल्ला ने बताया कि पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। प्रतिनिधिमंडल इन सभी को अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने की किसी कोशिश के परिणामों से अवगत कराएगा।