ज़िंदगी में सुख-संपत्ति व साहस को कायम रखने के लिए सूर्यदेव की कृपा पाना महत्वपूर्ण है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य की हालात न सिर्फ उसकी सेहत, संपत्ति एवं सुख-शांति पर प्रभाव डालती है बल्कि उसे राजा से रंक बनाने का भी माद्दा रखती है. जन्मांग में ग्रहों का राजा यदि सूर्य मजबूत अवस्था में हो, तो जातक राजा, मंत्री, सेनापति, प्रशासक, मुखिया, धर्म संदेशक आदि बनाता है. लेकिन यदि सूर्य कुंडली में कमजोर अवस्था में हो तो वह शारीरिक तथा सफलता की दृष्टि से बड़ा ही बेकार परिणाम देता है.
सूर्यदेव की शुभता बढ़ाने व उनकी नाराजगी दूर करने के लिए कभी भी झूठ न बोलें. इस तरीका को करने से सूर्य से संबंधी गुनाह दूर हो जायेगा व उनके शुभ फल मिलने प्रारंभ हो जाएंगे.साथ ही रोजाना उगते सूर्य का दर्शन एवं उन्हें ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहते हुए जल अर्पित करना चाहिए. प्रतिदिन सूर्य को जल देने के पश्चात् लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके निम्न मंत्र का 108 बार जप करें —
”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते.
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर..”
2. चंद्र
सूर्य की तरह चंद्रमा भी प्रत्यक्ष देवता हैं. नवग्रहों में चंद्र देवता को माता व मन का कारक माना जाता है. कुंडली में चन्द्र ग्रह की अशुभता का मनुष्य के मन पर पूरा असर पड़ता है. चंद्र गुनाह के कारण घर में कलह, मानसिक विकार, माता—पिता की बीमारी, दुर्बलता, धन की कमी जैसी समस्याएं सामने आती हैं. चंद्र देव की शुभता पाने व उनसे जुड़े गुनाह दूर करने के लिए जितना ज्यादा हो सके साफ-सफाई पर ध्यान दें. चंद्र गुनाह को दूर करने व उनकी कृपा पाने के लिए चंद्र देवता के निम्न मंत्रों का जाप बहुत ज्यादा शुभ असरकारक साबित होता है.
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:..
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:..
दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्.
नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥
3. मंगल के उपाय
अदम्य साहसी व पराक्रमी पृथ्वी पुत्र मंगल को ग्रहों का सेनापति माना गया है. वैदिक ज्योतिष के मुताबिक किसी भी आदमी में ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए मंगल गुनाह के असर को दूर करना अत्यंत आवश्यक होता है. शनि की तरह मंगल ग्रह की अशुभता से आमतौर पर लोग डरते हैं, जबकि जिसका नाम ही मंगल हो वह भला किसी का अमंगल कैसे कर सकता है. मंगल देवता की कृपा पाने व उससे जुड़े गुनाह को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें —
ॐ अं अंगारकाय नम:.
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कांति समप्रभम्.
कुमारं शक्तिहस्तं च भौममावाह्यम्.
4. बुध —
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध बुद्धि, व्यापार, स्कीन एवं धन का ग्रह है. बुध ग्रह का रंग हरा है. वह नौ ग्रहों में शारीरिक रूप से सबसे निर्बल व बौद्धिक रूप में सबसे आगे है. ऐसे में प्रत्येक आदमी के लिए बुधदेव की कृपा व शुभता अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह निर्बल है या फिर नीच का हो तो आप बुध ग्रह की शुभता पाने के लिए बुध के बीज मंत्र का जाप करें —
‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय् नम:..
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम.
सौम्यं सौम्य गुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्..
5. बृहस्पति —
ज्योतिष में देवताओं के गुरु बृहस्पति को एक शुभ देवता व ग्रह माना गया है. 9 ग्रहों में से एक बृहस्पति के शुभ असर से सुख, सौभाग्य, लंबी आयु, धर्म फायदा आदि मिलता है.आमतौर पर देवगुरु बृहस्पति शुभ फल ही प्रदान करते हैं, लेकिन यदि कुंडली में यह किसी पापी ग्रह के साथ बैठ जाएं तो कभी-कभी अशुभ इशारा भी देने लगते हैं. ऐसे में बृहस्पति की कृपा पाने व इनसे जुड़े गुनाह को दूर करने के लिए प्रतिदिन तुलसी या चंदन की माला से ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’ का 108 बार जप अवश्य करे.
देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्.
बुद्धिभूतं त्रिलोकशं तं नमामि बहस्पतिम्..
6. शुक्र —
ज्योतिष में शुक्र ग्रह को ज़िंदगी से जुड़े सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है. शुक्र ग्रह से ही किसी जातक के ज़िंदगी में स्त्री, वाहन, धन आदि का सुख सुनिश्चित होता है. कुंडली में शुक्र मजबूत होने पर इन सभी सुखों की प्राप्ति होती है लेकिन अशुभ होने पर तमाम तरह के आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. दांपत्य ज़िंदगी के सुख का अभाव रहता है. शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें —
ॐ शुं शुक्राय नम:.
ॐ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्..
7. शनि —
कुंडली में शनि ऐसे देव हैं जिनसे अक्सर लोग डरते हैं. जबकि शनि कर्म के देवता हैं व आपके किए गए काम का फल जरूर देते हैं. यदि आपकी कुंडली में शनि गुनाह है तो आप उसे दूर करने के लिए सबसे पहले अपने अपने व्यवहार में जरूर बदलाव लाएं. विशेष रूप से अपने माता-पिता का सम्मान व उनकी सेवा करें. साथ ही शनिदेव से जुड़े मंत्रों का जाप करें. शनिदेव के ये मंत्र बहुत ज्यादा प्रभावी है. शनिदेव को समर्पित इस मंत्र को श्रद्धा के साथ जपने से निश्चित रूप से आपको फायदा होगा.
ॐ शं शनैश्चराय नमः.
ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः.
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:.
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:..
8. राहू —
कुंडली में राहु व केतु छाया ग्रह हैं. कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में है तो आदमी को सरलता से सफलता नहीं मिल पाती है व परेशानियां बनी रहती है. कुंडली में इस ग्रह को राहु के गुनाह को दूर करने के लिए इसके मंत्र का जाप करने पर शुभ फल प्राप्त होते हैं.
‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’.
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्यविमर्दनम्.
सिंहिकागर्भसम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्..
9. केतु —
ज्योतिष के अनुसार केतु को सर्प का धड़ माना गया है. बताते चलें कि बगैर सिर के धड़ को कुछ दिखाई नहीं देता कि क्या किया जाए व क्या नहीं. यही कारण है कि केतु ग्रह के गुनाह के कारण अक्सर आदमी भ्रम का शिकार होता है. जिसके कारण उसे तमाम परेशानियां झेलनी पड़ती है. केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सबसे पहले आप अपने बड़े-बुजुर्ग की सेवा करना प्रारंभ कर दें. साथ में केतु के इन मंत्रों का जप करें —
ॐ कें केतवे नम:.
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्.
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्..”