राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) अपनी छवि चमकाने की प्रयास को बदस्तूर जारी रखना चाह रही है। प्रदेश की अपराध ब्रांच सॉफ्टवेयर फॉर सोशल मीडिया मैनेजमेंट (Branch Software for Social Media Management) के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं दोबारा लेने की तैयारी में है।
वहीं दूसरी ओर अपराध व विशेषज्ञों की सेवाएं लेने जा रही है। डीजीपी डाक्टर भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 3 दिसंबर को होने वाली इन पर मुहर लगाई जाएगी।
राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में पुलिसवालों के करप्शन व अन्य कारणों से राजस्थान पुलिस की बेकार छवि उभरकर सामने आई है। आमजन से लेकर मीडिया तक में पुलिस के प्रति बढ़ती निगेटिव अवधारणा को दूर करने के लिए राजस्थान पुलिस ने 2017 में पुलिस मीडिया पोर्टल प्रारम्भ किया। पुलिस मुख्यालय ने सॉफ्टवेयर फॉर सोशल मीडिया मैनेजमेंट फॉर राजस्थान पुलिस प्रारम्भ किया।
राजस्थान पुलिस प्रोफाइल नाम के साथ प्रारम्भ इस पोर्टल में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जीवंत सक्रिय सोशल मीडिया की उपस्थिति दर्ज करा रही है। पुलिस का ट्विटर हैंडल एक लाख 33 हजार से लाइक्स के साथ चल रहा है। वहीं फ्रेंस एम्बेसी से लेकर कई विदेशी सरकारों से भी पुलिस की प्रशंसा के ट्वीट आ चुके हैं।
इस प्रकार की जा रही कोशिश
– पुलिस ने पब्लिक के साथ जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया
– राजस्थान पुलिस का यह इस्तेमाल पुलिस मुख्यालय से निकलकर रेंज, जिलों व यहां तक की थानों तक पहुंच चुका है
– पुलिस अपनी उपलब्धियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रही है
– विभिन्न कार्रवाई में जनता को शामिल कर उनका फायदा लिया जा रहा है
– जनता के बीच पुलिस के मानवीय चेहरे को उजागर किया जा रहा है
– महिलाओं, बच्चों व अन्य निर्बल वर्गों में कानूनी जागरूकता पैदा करना
– इन तमाम उपयों के मैनेजमेंट के लिए सॉफ्टवेयर फॉर सोशल मीडिया मैनेजमेंट का सहारा लिया जा रहा है
– इसके विशेषज्ञों की सेवाएं निरंतर जारी करने के लिए 24 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं।
डेटा लेक का किया जाएगा निर्माण
राजस्थान पुलिस अपनी छवि चमकाने के साथ ही अपराध एवं क्रिमिनलों पर भी पूरा कंट्रोल चाहती है। इसके लिए स्टेट अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो टेक्निकल एक्सपर्ट लेना चाह रहा है। एक्सपर्ट एनालिटिक्स व डेटा लेक का निर्माण करेंगे। विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए हर छह महीने में 24 लाख से ज्यादा की राशि खर्च होगी।
इस प्रकार बनेगी अपराधियों की कुंडली
– डेटा के विभिन्न स्वरूपों को सेंट्रलाइज एवं उनका भंडार कर, उन्हें उन्नत विश्लेषण के लिए रखने की प्रक्रिया है डेटालेक।
– डेटा लेक में विभागीय सोशल मीडिया आधारित डाटा या अन्य सम्बंधित तीसरे पक्ष के डाटा का भी भंडारण किया जा सकता है।
– इन डाटा के प्रभावी मैनेजमेंट व सुरक्षा भी डेटा लेक के माध्यम से ही की जाती है।
– राजस्थान पुलिस के सीसीटीएनएस, सीसीए, कमांड कंट्रोल सेंटर, पुलिस पोर्टल को अन्य विभागों से प्राप्त डाटा, मोबाइल उपभोक्ता डाटा, वाहन डाटा आदि एकत्र किए जा सकेंगे।
– विशेषज्ञों की टीम डेटा लेक निर्माण से लेकर विश्लेषण के लिए सिस्टम विकसित कर रहे हैं।
– डेटा लेक सिस्टम बनने के बाद पुलिस की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होगी।
– अपराध कंट्रोल, केसों की प्रभावी जाँच भी हो पाएगी।