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स्वास्थ्य केंद्रों में मनाया गया एकीकृत निक्षय दिवस

• टीबी, फाइलेरिया और कुष्ठ के मरीजों को किया गया चिन्हित

• फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किटें मुहैया कराई

• प्रभावित अंगों की साफ-सफाई की दी हिदायत

कानपुर नगर। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से प्रत्येक माह की 15 तारीख को होने वाला निक्षय दिवस बुधवार को स्वास्थ्य केंद्रों में मनाया गया। टीबी के साथ-साथ फाइलेरिया और कुष्ठ के संभावित मरीजों को भी खोजा गया।

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लक्षण वाले मरीजों को आशा कार्यकर्ता के माध्यम से उपकेंद्र तक पहुंचाया गया ताकि इनका उपचार.शुरू हो सके। ब्लॉक कल्याणपुर के ग्राम रेहनस, खजुरिया और खुजऊपुर सहित अन्य जगह भी मरीजों को एमएमडीपी किट मुहैया कराई गई।

फाइलेरिया, कुष्ठ और टीबी जैसी संक्रामक बीमारी पर रोकथाम लगाने को लेकर प्रत्येक माह की 15 तारीख को निक्षय दिवस मनाया जा रहा है। ब्लॉक कल्याणपुर के ग्राम रेहनस में मौजूद सहायक जिला मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह और भूपेंद्र सिंह द्वारा मरीजों को फाइलेरिया मार्बिडिटी मैनेजमेंट (एमएमडीपी) किट मुहैया कराई गई है और प्रभावित अंगों की साफ-सफाई रखने की हिदायत दी गई है।

सहायक जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया की फाइलेरिया बीमारी तो पुरानी है, लेकिन इसको नियंत्रित और खत्म करने के तरीके नए हैं। आज हम नए संक्रमण को फैलने से रोकने में समर्थ हैं। हमें मिलजुल कर इस बीमारी से बचाव के तरीकों को अपनाना है, क्योंकि आज हमारे पास संसाधन है, दवायें है, मरीज की देखभाल से लेकर देखभाल करने वालों को समुदाय का सहयोग है, जिससे कि फाइलेरिया से बचाव और इसके संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कार्य किये जा सके।

उन्होंने बताया की फाईलेरिया के परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से संक्रमित शारीर से स्वस्थ्य शरीर में पहुंचता है। ऐसे मच्छर घरों के आसपास नाली, गड्ढों व घर के अंदर रुके हुए गंदेपानी में पनपते हैं। ठंड लगने के साथ ही तेज बुखार होना, हाथ-पैर की नसों का फूलना, दर्द होना, जांघ में गिल्टी उभर आना, हाथ, पैर में सूजन आदि इस रोग के लक्षण हैं। साथ ही रोग से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

कहा की सरकार फाइलेरिया के संक्रमण को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। प्रत्येक आशा या स्वाथ्य कर्मियों के सामने पांच साल तक साल में एक बार दवा खाने की जरूरत है। फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे- अभी पान खाए हैं, अभी सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि।

आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.एपी मिश्रा ने बताया कि एकीकृत निक्षय दिवस पर स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से दस प्रतिशत लोगों की स्क्रीनिंग कर क्षय, कुष्ठ और फाईलेरिया की जांच की गयी है। इनमें से कुछ के बलगम के सैंपल लिए गए हैं और कुछ के एक्सरे कराए गए। इस मौके पर फाईलेरिया नेटवर्क सदस्य निकेता अवस्थी, लवकुश तिवारी , देवनाथ सिंह , पूजा तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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