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जज़ पर लगाया गया था ये आरोप,नौ वर्ष बाद मिला इन्साफ,हाईकोर्ट ने सुनाया यह फ़ैसला…

पंजाब सरकार बनाम न्यायाधीश का यह मुद्दा करीब एक लाख रुपये कम बिल चुकाने से संबंधित है पंजाब सरकार ने एक लाख रुपये कम बिल चुकाने के लिए जज से करीब नौ वर्षतक केस लड़ा हालांकि उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार फटकार लगाते हुए जज का बिल जमा करने को बोला है साथ ही बिल जमा करने में देरी होने पर उचित ब्याज देने का भी आदेश दिया है एक लाख 30 हजार रुपयों का है मामला
पंजाब सरकार  जज के बीच का यह मुद्दा वर्ष 2010 का है तब एडिशनल सेशन जज डीके मोंगा पंजाब लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सेक्रेटरी थे उसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी  उन्होंने 4,36,943 रुपये का इजाल कराया

वर्ष 2010 में ही उन्होंने अपने उपचार पर खर्च हुए पैसों का सारा बिल पंजाब सरकार सौंप दी थी इसके बाद उन्होंने अपने मेडिकल री-इंबर्समेंट की मांग कर ली थी लेकिन पंजाब सरकार ने इसमें अड़ंगा लगा दिया

एडिशनल सेशन जज डीके मोंगा की याचिका के अनुसार पंजाब सरकार ने उन्हें पूरा मेडिकल री-इंबर्समेंट करने से मना कर दिया इस मामले में पंजाब सरकार ने एक नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया इस नोटिफिकेशन बोला गया कि सभी जुडीशियल ऑफिसरों के उपचार का उतना ही मेडिकल री-इंबर्समेंट किया जाएगा, जितना कि उनके द्वारा बताई गई बीमारियों के उपचार पर एम्स में खर्च आता है

इस नोटिफिकेशन के अनुसार पंजाब सरकार किसी भी ज्यूडीशियल शख्‍सियत के उपचार के लिए केवल एम्स को मान्य मानेगा अगर वे कहीं  अपना उपचार कराते हैं तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होगी उन्हें सरकार की ओर से उतना ही पैसा वापस किया जाएगा जितना उनके उपचार पर एम्स में खर्च होता

2012 से न्यायालय में है केस
पंजाब सरकार ने मोंगा के उपचार के कुल खर्च का एम्स के हिसाब से अनुमान लगाया  3,08,924 रुपये का भुगतान कर दिया लेकिन इसमें करीब एक लाख 30 हजार रुपये का बिल नहीं जमा किया गया इसके लिए जज ने सरकार को रिप्रजेंटेशन दिया लेकिन सरकार ने उनकी एक ना सुनी जब जज के लिए सारे रास्ते बंद हो गए तब उन्होंने 2012 में उच्च न्यायालय पहुंचे

हाईकोर्ट ने सरकार को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ चुकाने को बोला बिल
उच्च न्यायालय में लंबे समय से चली आ रहे इस मुद्दे का आखिरकार निपटारा हो गया है दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार से नौ प्रतिशतब्याज के साथ बिल का भुगतान करने को कहा

हालांकि न्यायालय ने पंजाब सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन पर भी पूरी जिरह सुनी सरकार की ओर से ज्यूडीशियल शख्‍सियतों के लिए उपचार पर र्ख होने वाले पैसों को लेकर पंजाब सरकार की बात सुनी लेकिन सरकार पक्ष के एडवोकेट की ओर से दी गई दलीलों को न्यायालय ने इस मुद्दे में नाकाफी बताया क्योंकि यह नोटिफिकेशन याची के न्यायालय में केस करने के बाद जारी किया गया था

इस वजह से न्यायालय ने आगामी दो महीनों के भीतर जज का पूरा बिल भुगतान करने  सरकारी बैंकों की ब्याज दर के हिसाब से इसमें नौ प्रतिशत ब्याज के भुगतान का भी आदेश दिया है अगर सरकार दी गई निश्चित समय सीमा में राशि का भुगतान नहीं करती है तो उसे 12 प्रतिशत के साथ बिल का भुगतान करना होगा

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