किसी भी महिला के लिए मां बनने का अहसास बेहद सुखद होता है. ये नौ माह का समय रोजाना उसे नए अहसास कराता है. ऐसे में जब बच्चा गर्भ में किक मारता है तो यह अहसास अलग ही होता है. लेकिन बच्चा ऐसा क्यों करता है, जानते हैं इसके बारे में
परिवर्तन का अहसास-
नए वातावरण में परिवर्तन को जब शिशु महसूस करता है तो वह तुरंत अपनी रिएक्शन किक मार कर दिखाता है. बाहर से कुछ शोर या मां के कुछ खाने की आवाज सुनकर वह अपने अंगों को फैलाता है. लात मारना उसके सामान्य विकास का भी इशारा है.
आकार बढ़ना भी कारण –
गर्भावस्था के दौरान 36वें सप्ताह के बाद बच्चे का आकार बढ़ जाता है जिसकी वजह से वह ज्यादा हिल नहीं पाता. इस दौरान महिला अपनी पसलियों के नीचे एक या दोनों तरफ या आसपास गर्भस्थ शिशु द्वारा लात मारना महसूस करने लगती है.
कम लात मारना यानी शुगर लेवल कम होना : गर्भ के 28 सप्ताह के बाद डॉक्टर, शिशु कितनी बार लात मारता है उसे गिनने को कहते हैं. यदि वह लात कम या न के बराबर मार रहा है तो ऑक्सीजन सप्लाई कम या शुगर लेवल कम होने का इशारा है.
अच्छे विकास का इशारा : बच्चे का लात मारना उसके अच्छे विकास का इशारा है. यानी बच्चा बहुत सक्रिय है. गर्भ में हिचकी लेने, हिलने-डुलने या अंगों को फैलाने के दौरान भी वह लात मारने जैसी गतिविधि करता है. कई बार मां जब बाईं करवट से लेटती है तो भू्रण को रक्त की आपूर्ति बढ़ने से भी वह किक मारता है.