शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के साइडलाइन में भारत (india) और चीन (china) के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग आपस में गर्मजोशी से मिले। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं। साथ ही उन्होंने दोनों देशों के बीच करीबी विकास साझेदारी को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों में शामिल होने की चीन ने इच्छा जतायी।
इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान भारत ने पाकिस्तान को लेकर चीन की नरमी बरतने को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा कि जब तक सीमा पार से आतंकवाद को खुला समर्थन देना नहीं मिलता है तब तक बातचीत संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि पाकिस्तान अभी भी अपना स्टेंड आतंकवाद को लेकर साफ नहीं करता है। वहां आतंकवादियों को पनाह और ट्रेनिंग सरकार प्रायोजित कार्यक्रम का हिस्सा बन गया है। जिसके चलते कश्मीर अभी भी लहूलुहान हो उठता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी सरकार सैनिकों को आतंकवाद की बलि बनने नहीं देना चाहते है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जीरो टोलरेंस की नीति के साथ ही आतंकवाद पर आगे बढ़ना चाहती है।
लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ जीत के बाद दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी और शी की यह पहली मुलाकात है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बीजिंग में जारी एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति शी ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि भारत और चीन को मतभेदों से सही तरीके से निपटते हुए सहयोग बढ़ाना चाहिए। साथ ही उन्होंने सीमा पर स्थिरता बनाए रखने के लिए विश्वास बहाली के कदम उठाने की बात भी कही।
शी ने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच करीबी विकास साझेदारी को बढ़ाने के लिए चीन लगातार भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।’’ सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बयान के हवाले से खबर दी है, उन्होंने दोनों देशों से इस मूल सिद्धांत पर अमल करने को कहा कि ‘‘चीन और भारत एक-दूसरे को विकास का अवसर देते हैं, और एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं हैं।’’ शी ने यह रेखांकित किया कि पूरी दुनिया में चीन और भारत ही ऐसी दो उभरती अर्थव्यवस्था हैं जिनकी आबादी एक अरब से ज्यादा है।
दोनों देशों के बीच मतभेद के पुराने कारण, सीमा विवाद पर शी ने कहा, ‘‘हमें सीमा विवाद और अन्य तंत्रों के संबंध में विशेष प्रतिनिधियों की बैठकों का लाभ उठाना होगा, विश्वास बहाली के कदम उठाने होंगे और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखनी होगी।’’ गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर बातचीत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी विशेष प्रतिनिधि हैं।