अगले महीने भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर जाएगी, जहां उन्हें वनडे, टी20 व टेस्ट मैच खेलने हैं. दौरे के लिए टीम चयन आज होना है. वर्ल्ड कप की पराजय के बाद चयन में कुछ चौंकाने वाले निर्णय हो सकते हैं. दो बातों पर सबसे ज्यादा नजर है. पहली- विराट कोहली का लिमिटेड ओवर कैप्टन के रूप में भविष्य. दूसरी- एमएस धोनी का टीम में भविष्य.वर्ल्ड कप में दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन उनके स्तर से कमतर रहा. इसी वजह से कयासों को बल भी मिला. बोला तो ये भी जा रहा है कि चयन में दो दिन की देरी की एक वजह ये भी है कि चयनकर्ता बिना किसी तरह की भावनाओं में बहे, व भी ज्यादा सोच-समझकर निर्णय लेना चाहते हैं. विराट की कप्तानी की बात करें तो उन्हें इस वक्त हटाना गैर-जरूरी कदम होगा. उनकी कप्तानी में टीम का प्रदर्शन अच्छा ही रहा है. इस दौरान 74% मैचों में हिंदुस्तान को जीत मिली.
वर्ल्ड कप लीग में हिंदुस्तान टॉप पर था
वर्ल्ड कप में भी लीग स्टेज में टीम टेबल में टॉप पर थी. जो भी बातें हो रही हैं, वो सिर्फ सेमीफाइनल में मिली एक पराजय के बाद पैदा हुई हैं. खासकर सेमीफाइनल में एमएस धोनी को नंबर-7 पर भेजने के निर्णय ने विराट की कप्तानी की आलोचनाओं को जोर दिया है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि धोनी के बल्लेबाजी में नीचे आने की वजह से हिंदुस्तान हारा.हिंदुस्तान हारा, क्योंकि न्यूजीलैंड बेहतर खेला. फिर स्प्लिट कैंप्टेंसी यानी टेस्ट, वनडे में अलग कैप्टन के फॉर्मूले को लागू करना इतना सरल भी नहीं होता है. स्प्लिट कैंप्टेंसी टीम में गलत संदेश दे सकती है.
चयनकर्ता धोनी को सोचने का पूरा मौका देंगे
धोनी की बात करें, तो चयनकर्ता उन्हें सोचने का पूरा मौका देने के मूड में लग रहे हैं. उनके जैसे बेहतरीन व तमाम उपलब्धियां दिला चुके खिलाड़ी को इसका अधिकार भी बनता है. फिर क्या पता, अक्सर अपने तौर-तरीकों से चौंकाने वाले धोनी के पिटारे में अभी भी कोई चमत्कार बाकी हो. ऐसे दशा में चयनकर्ताओं का भूमिका बहुत ज्यादा अहम हो जाता है. उन्हें अपने कार्य को बेहद संवेदनशील ढंग से संभालना होगा.