लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने वोट की राजनीति से सराबोर तीन तलाक बिल के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि समाज में फैली हुयी कुरीतियों पर नियंत्रण करना अच्छी बात है परन्तु नियंत्रण के पश्चात उत्पन्न समस्याओं के समाधान को सोचना भी दूरदर्शिता का परिचायक है। केन्द्र सरकार ने अपनी दूरदर्शिता का परिचय नहीं दिया क्योंकि तीन तलाक देने वाला पति जब जेल चला जायेगा तो उसकी पत्नी को गुजारा भत्ता कहां से मिलेगा। इससे स्पष्ट है कि यह बिल यदि एक ओर समाज की कूप्रथा को समाप्त करने वाला है तो दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं के लिए हितकर भी नहीं हैं।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि प्रत्येक जनपद के परिवारिक न्यायालयों में हिन्दू परिवारों के पति-पत्नी के विवाद सम्बन्धी लाखों मुकदमें पंजीकृत हैं, यदि सम्पूर्ण भारत के पारिवारिक विवादों की सही संख्या मालूम की जाय तो करोडों में होगी। खेद है कि केन्द्र सरकार हिन्दूत्ववादी चोला पहनकर सत्ता में आयी है परन्तु उसने हिन्दू महिलाओं की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया। लाखों महिलाएं ऐसी हैं जिनका विवाद युवा अवस्था में प्रारम्भ हुआ और वृद्वावस्था तक पहुंच गयी परन्तु न ही बात का निस्तारण हुआ और न ही उनको किसी प्रकार का गुजारा भत्ता मिल सका।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुये कहा कि विभिन्न जनपदों में परिवारिक न्यायालयों की संख्या बढाई जाय, साथ ही साथ प्रत्येक बात की सुनवाई दिन प्रतिदिन करने के आदेश दिये जाय क्योंकि दुखी अबलाओं को त्वरित न्याय मिलना परम आवश्यक है तथा तीन तलाक बिल पारित कराने के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं एवं हिन्दू महिलाओं के विवादों के निस्तारण होने तक यदि पति के द्वारा गुजारा भत्ता नहीं मिलता है तो गुजारा भत्ता केन्द्र सरकार की ओर से दिया जाय, ताकि सम्पूर्ण पीडित महिला वर्ग अपना एवं अपने बच्चों का पालन पोषण कर सके।