भारत 16 दिसंबर को 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत को विजय दिवस के रूप में मना रहा है। 16 दिसम्बर के दिन 1971 में पाकिस्तानी सेना के लेफ़्टि. जनरल एए के नियाज़ी (कमाण्डर, पूर्वी कमान), ने 93,000 सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था। इस ऐतिहासिक घटना ने ही पाकिस्तान के दो टुकड़े और एक नए देश बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था।
ये सर्वविदित है कि पाकिस्तान ने जब-जब भारत से टकराने की जर्रत की है तब-तब हिंद की सेना ने उसे कड़ा सबक सिखाया है। पाकिस्तान ने बंटवारे के बाद से भारत के साथ चार युद्ध लड़े और हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी। लेकिन 1971 में भारत का पराक्रम पाकिस्तान को सबसे ज्यादा भारी पड़ा था। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकडे़ कर दिए थे। 16 दिसम्बर के दिन पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।
पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक विजय को 16 दिसंबर 2021 को 50 साल पूरे हो रहे हैं। इस साल को भारत स्वर्णिम विजय वर्ष के तौर पर मना रहा है। बताते चलें कि स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह का आरम्भ प्रधान मंत्री मोदी द्वारा चार विजय मशालों को प्रज्ज्वलित करके किया गया था। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शाश्वत ज्योति से 4 स्वर्णिम विजय मशाल, देश की चार प्रमुख दिशाओं में भेजी गयी थीं।
अपनी यात्रा के दौरान, विजय मशाल ने हमारे बहादुर सैनिकों के बलिदान की स्मृति का सम्मान करने के लिए विभिन्न युद्ध नायकों और युद्ध के मैदानों का दौरा किया और संबंधित क्षेत्रों से मिट्टी एकत्र की, जिसे अंततः 16 दिसंबर को आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नई दिल्ली में समाहित किया गया।
विजय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद विजय ज्योति यात्रा को रवाना किया था। इसके बाद ‘विजय ज्योति यात्रा’ की शुरुआत हो गई। ‘विजय ज्योति यात्रा’ में चार ‘विजय मशालें’ शामिल हैं। विजय ज्योति यात्रा ने एक साल में पूरे देश का भ्रमण करके उन युद्धवीरों को याद किया, जिन्होंने इस युद्ध में अपना अविस्मरणीय योगदान दिया था।
बता दें कि 3 दिसंबर 1971 को शाम 5 बजे पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने भारत के 11 एयरबेसों पर एक साथ हमला कर दिया था। जिसके बाद 25 साल से भी कम समय में दोनों देशों के बीच तीसरा युद्ध शुरू हो गया था। भारत-पाकिस्तान युद्ध आखिर हुआ क्यों था, इस पर विचार करने की जरूरत है। बताते चलें कि 1971 की लड़ाई का सबसे बड़ा कारण पूर्वी पाकिस्तान पर पाकिस्तानी सेना का जुल्मो-सितम था। दिसंबर 1970 में लाखों की संख्या में परेशान बांग्ला भाषी लोग भारत में शरण ले रहे थे। 27 मार्च 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान की आजादी को भारत का समर्थन दिया था। इसके बाद पूरा पूर्वी पाकिस्तान जनरल याह्या खान और पाकिस्तानी फौज के जुल्मों के खिलाफ खड़ा हो गया था। बंगालियों की ‘जनसेना मुक्ति वाहिनी’ का साथ देने के लिए ‘मित्र वाहिनी’ यानी भारतीय सेना मैदान में उतर गई थी। तुरंत युद्ध शुरू करने के राजनीतिक दबाव के बावजूद तत्कालीन आर्मी चीफ ‘सैम मानेकशॉ’ ने पाकिस्तान पर हमले के लिए सही वक्त और रणनीति का इंतजार किया और लड़ाई शुरू होने के पहले 3 दिनों में ही भारत ने पूर्वी पाकिस्तान की वायुसेना और नौसेना दोनों को तबाह कर दिया था। 1971 के युद्ध की शुरुआत करने वाली पाकिस्तानी वायुसेना का बाद के दिनों में पता तक नहीं चला। इंडियन एयरफोर्स के विमानों ने पाकिस्तान पर 4 हजार से ज्यादा उड़ानें भरीं। ऐसा माना जाता है कि नुकसान से बचने के लिए पाकिस्तान एयरफोर्स ने अटैक करना ही बंद कर दिया था।
भारत पाकिस्तान युद्ध 1971: तुलनात्मक सामरिक क्षमता
पूर्वी फ़्रण्ट: पूर्वी पाकिस्तानी सैन्य कमान का आत्मसमर्पण।
पश्चिमी फ्रंट: पाकिस्तान ने एकतरफ़ा क्षेत्रीय युद्धविराम किया।
बदलाव पूर्वी फ़्रण्ट: पूर्वी पाकिस्तान की बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्रता
पश्चिमी मोर्चा: भारतीय सेनाओं ने पश्चिमी ओर लगभग 5,795 वर्ग मील (15,010 वर्ग किलोमीटर) भूमि अधिग्रहीत कर ली थी, किन्तु शिमला समझौते के तहत अच्छे पड़ोसी के नाते सारी भूमि पाकिस्तान को लौटा दी गयी।
भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी छोर से नेतृत्व
मुक्ति वाहिनी: 1लाख 75 हजार।
• तटस्थ दावे: 45 भारतीय वायुसेना विमान।
• भारतीय सेना दावा: 94 पाक वायुसेना विमान।
• तटस्थ दावे: 75 पाक वायुसेना विमान।
• पाकिस्तानी वायुक्षेत्र क्षतिग्रस्त एवं कुचला गया।