अमेरिका में ई-सिगरेट के इस्तेमाल के कारण संभवत: फेफड़ों पर प्रतिकूल असर पड़ने के कारण अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है और इससे पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 1,080 हो गई है। अमेरिकी स्वास्थ्य प्राधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
‘सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन’ के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा, ”दुर्भाग्य से, इस बीमारी को अमेरिकी लोगों, खास कर युवाओं पर पड़ने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बढ़ने के लिहाज से देखें तो यह एक भयावह समस्या का महज छोटा सा हिस्सा हो सकता है।”
एजेंसी ने बताया कि पिछले हफ्ते सामने आए 275 मामलों में पिछले दो हफ्ते में बीमार पड़े नये मरीज और पहले से मरीज की श्रेणी में रखे गए लोग दोनों शामिल थे। पुराने मरीजों को फिर से बीमारी के लक्षण नजर आने की शिकायत है।
मरीजों ने किन-किन पदार्थों का इस्तेमाल किया, इस संबंध में 578 मरीजों से पूछे गए सवाल में सामने आया कि 78 प्रतिशत ने निकोटिन युक्त या बिना निकोटिन वाला टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी) उत्पादों का इस्तेमाल किया, 37 प्रतिशत ने सिर्फ टीएचसी उत्पादों और 17 प्रतिशत ने निकोटिन युक्त उत्पादों का इस्तेमाल किया था।
टीएचसी गांजे का मुख्य स्वापक पदार्थ है जो व्यक्ति के मिजाज एवं अन्य दिमागी प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। इन मरीजों में 70 प्रतिशत पुरुषों और 80 प्रतिशत महिलाओं की उम्र 35 साल से कम है। अमेरिका के कुछ राज्यों में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया गया है, वहीं भारत में ई-सिगरेट के सभी उत्पादों पर पूरी तरह प्रतिबंध लग चुका है।