यह तो हर कोई जानता है कि कसरत करने से शरीर स्वस्थ रहता है, लेकिन एक हालिया शोध के अनुसार 35 मिनट रोजाना अतिरिक्त कसरत करने से अवसाद के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। यह उनमें भी कारगर साबित होता है जिनमें अवसाद का आनुवांशिक खतरा होता है। बोस्टन के मैसेचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं के अनुसार- यह अपनी तरह का पहला शोध है। पत्रिका डिप्रेशन एंड एंग्जाइटी में प्रकाशित शोध के अनुसार शारीरिक कसरत से अवसाद के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है, भले व्यक्ति में आनुवांशिक खतरा ज्यादा हो।
प्रमुख शोधकर्ता कारमेल चोइ और उनकी टीम ने जीनोमिक और हेल्थ रिकॉर्ड से 8000 प्रतिभागियों को डाटा जुटाकर उसका विश्लेषण किया। उन्होंने इस शोध के दौरान हर एक प्रतिभागी के जेनेटिक रिस्क स्कोर को भी मापा।
कम होता है जोखिम-
इस शोध के दौरान जब शोधकर्ताओं ने उन प्रतिभागियों को देखा जिनमें अवसाद का जेनेटिक स्कोर उच्च था, उन्होंने अगले दो सालों में अवसाद से संबंधित इलाज करवाया। वहीं टीम ने यह भी पता लगाया कि इन प्रतिभागियों में से जो शारीरिक रूप से सक्रिय थे और कसरत करते थे उनमें जेनेटिक स्कोर ज्यादा होने के बावजूद भी अवसाद का खतरा कम था।
क्या कहता है शोध-
- आनुवांशिक खतरा होने पर भी कसरत से कम होता है अवसाद।
- कसरत से अन्य कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी मिलते हैं।