कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 39वां दिन है। इन सबके बीच कल केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की बैठक होने जा रही है। उम्मीद है कि कल की बैठक में दोनों पक्षों के बीच कोई निर्णायक फैसला हो सकता है। आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक सात दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। किसान जहां अभी भी तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार भी कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है।
किसानों का कहना है कि अगर इस बैठक में कोई फैसला नहीं होता है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। किसानों ने इस वार्ता से पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की धमकी दी है। गौरतलब है कि सरकार और किसानों के बीच 4 में से दो मुद्दों पर सहमति बन गई है, लेकिन दो अभी भी बाकी है।
किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल का कहना है कि यदि वार्ता विफल हो जाती है, तो हम कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर 6 जनवरी को एक ट्रैक्टर मार्च करेंगे। हम 15 दिनों के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर हम गवर्नर हाउस के बाहर एक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक सात दौर की बातचीत हो चुके हैं लेकिन तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें संशोधन करने की बात कह रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।