लखनऊ। भारतीय कला में आधुनिकता (Modernity in Indian Art) पश्चिमी आधुनिकता से उत्पन्न पारंपरिक रचनात्मक शैलियों के लिए एक खुली चुनौती के रूप में आई है। सूजा (Souza) के नेतृत्व में बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्ट ग्रुप (Bombay Progressive Art Group) इस क्रांति के अग्रिम मोर्चे पर थे। हालांकि, उन्होंने अपनी दृश्य भाषा (visual language) भी पश्चिमी आधुनिकता (Western modernism) से ही ली थी। आधुनिकता में स्थानीय तत्वों की खोज के लिए वास्तविक प्रयास 1960 के दशक में शुरू हुआ, जो दक्षिण भारत में आधुनिकता के लिए कलाकार केसीएस पणिक्कर (KCS Panikkar) के नेतृत्व में एक बड़ी प्रेरणा थी।
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उक्त बातें मंगलवार को लियोनार्डो द विंची के जन्म दिवस के अवसर पर ‘विश्व कला दिवस’ के अन्तर्गत ललित कला एवं प्रदर्शन कला संकाय, ललित कला विभाग, डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में देश के प्रख्यात कला इतिहासकार एवं कला समीक्षक जॉनी एमएल ने कही।
जॉनी एमएल ने कहा कि आधुनिक भारतीय कला इतिहास लेखन में एक समस्या है, यह या तो उत्तर-केंद्रित है या वादों और स्कूलों पर केंद्रित है। आज एक नया कला इतिहास लेखन समय की मांग है। परंपरागत से उग्र मौलिकता अभिव्यक्ति तक,आकारिक चित्रात्मक अभिव्यक्ति से संस्थापन एवं धारणा मूलक स्वरूप तक भारतीय आधुनिकता ने एक लंबा सफर तय किया है।
जॉनी एमएल के द्वारा कला के कई महत्त्वपूर्ण पक्षों पर चर्चा करते हुए भारतीय कला इतिहास का विस्तृत प्रस्तुतिकरण किया गया। कला विशेषज्ञ द्वारा भारतीय आधुनिक समकालीन कला यात्रा पर प्रस्तुत व्याख्यान विद्यार्थियों, शोधार्थियों व कला प्रेमियों को लाभान्वित करने वाला रहा।
आयोजन के अंत में समारोह में उपस्थित प्रो पी राजीवनयन, अधिष्ठाता, ललित कला एवं प्रदर्शन कला संकाय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें उनके द्वारा विद्यार्थियों को कला व कला इतिहास की गंभीरता के प्रति उनके उत्तरदायित्व निर्वहन हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का संचालन सुकृति मिश्रा ने किया।
इस अवसर पर छात्रों के कृतियों की एक कला प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसका उद्घाटन प्रो संजय सिंह, कुलपति, एवं कला इतिहासकार जॉनी एमएल द्वारा विभाग की कला वीथिका में की गई।
उद्घाटन के अवसर पर कुलपति द्वारा विद्यार्थियों द्वारा निर्मित कृतियों की सराहना करते निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय द्वारा वृहद स्तर पर कला मेला का आयोजन किया जाये जिसमें अन्य विश्वविद्यालय को भी आमंत्रित किया जायें एवं प्रदर्शनी में श्रेष्ठ कृतियों को पुरस्कृत भी किया जाये जिससे विद्यार्थियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार के साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बनी रहे। निश्चित ही ऐसे प्रयास से विश्वविद्यालय एवं ललित कला विभाग राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका दर्ज करा सकेगी।
जॉनी एमएल ने प्रदर्शित सभी कृतियों को देखा और सभी छात्रों से बातचीत भी की और मार्गदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि इन छात्रों के कलात्मक अभिव्यक्ति में अपार संभावना है इन्हें कला की दुनियां में हो रहे परिवर्तनों और नित नए प्रयोगों से भी जोड़ा जाना चाहिए।
प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर प्रो वीके सिंह, प्रो अवनीश चन्द्र मिश्र, प्रो सीके दीक्षित, कुलसचिव रोहित सिंह ललित कला परफॉर्मिंग आर्ट संकाय के अधिष्ठाता पाण्डेय राजीव नयन, डॉ अवधेश प्रसाद मिश्र, डॉ सुनीता शर्मा, भूपेंद्र कुमार अस्थाना, गिरीश पाण्डेय, रीना, प्रिया मिश्रा एवं अन्य शिक्षक और शोधार्थी, छात्र मौजूद थे।