• कांग्रेस पार्टी विकासपरक युवा भारत निर्माण के लिए प्रतिबद्ध: विकास श्रीवास्तव
• अधिवेशन में आर्थिक नीति, विदेश नीति, रक्षा नीति और स्वास्थ्य व शैक्षणिक एजेंडे पर विषय विशेषज्ञों के साथ रिजल्ट ओरिएंटेड निर्णय लिया गया
लखनऊ/रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकांग्रेस राष्ट्रीय अधिवेशन (congress national convention) ने अपने 85 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि महिलाओं, आदिवासियों, अनुसूचितजाति, पिछड़ों, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए संगठन में 50% पद आरक्षित होंगे। इसके साथ ही 50% पदों पर 50 वर्ष की उम्र तक के युवाओं, महिलाओं को विशेष तरजीह दिया जाएगा, ताकि देश की 60% युवा आबादी को प्रतिनिधित्व का अवसर मिले। कांग्रेस (Congress) पार्टी विकासपरक युवा भारत निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
अधिवेशन में सर्वसम्मति से पास हुए प्रस्ताव पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सम्मानित कार्यसमिति सदस्यों समेत शीर्ष नेतृत्व को इस क्रांतिकारी निर्णय के लिए बधाई देते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी का यह क्रांतिकारी व सामूहिक निर्णय भारतीय राजनीति में दूरगामी सामाजिक और वैचारिक बदलाव लाएगा और देश की एकता और अखंडता को मजबूती प्रदान करेगा।
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने रायपुर अधिवेशन से देश की राजनीति में सामाजिक क्रांति का एक और शानदार अध्याय जोड़ा है, जो आज तक किसी राजनीतिक दल ने नहीं किया है। कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय समरसता और बंधुत्व को मजबूत करने के साथ ही आरएसएस व बीजेपी की नफरत विघटनकारी राजनीति को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने तीन दिवसीय अधिवेशन में देशवासियों के सभी प्रमुख मुद्दों सामाजिक विघटन, बिगड़ती कानून व्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी पर व्यापक चर्चा किया।
देश की आर्थिक नीति, विदेश नीति, रक्षा नीति और स्वास्थ्य व शैक्षणिक एजेंडे पर भी विषय विशेषज्ञों के साथ रिजल्ट ओरिएंटेड विचार मंथन किया गया है और सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास भी हुए और इसके साथ ही मजबूत प्रभावी रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है।
विकास श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 और राज्यों में होने वाले आगामी चुनाव में अपनी मजबूत भागीदारी दर्ज कराने के लिए पूरी राजनैतिक मुखरता के साथ तैयार हैं। युवाओं, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों को वैचारिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर कांग्रेस पार्टी से जोड़ने के लिए उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण सम्मान और विभिन्न पदों पर समायोजित करने जा रही है।
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इसके साथ ही इस सोशल इंजीनियरिंग को बूथ स्तर से लेकर के प्रदेश स्तर पर अपनाकर अपने सांगठनिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाने की ठोस रणनीति पर काम भी कर रही हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने बीजेपी को घोर अति पिछड़ा और दलित, अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए कहा कि मोदी सरकार ने महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर 2017 पर अति पिछड़ों दलितों के साथ हुए सामाजिक अन्याय और वस्तुस्थिति की समीक्षा के लिए जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन किया।
अति पिछड़ा और अति दलितों को सामाजिक न्याय न देना पड़े, इस अति पिछड़ा विरोधी नियति से मोदी सरकार जस्टिस रोहिणी आयोग का कार्यकाल अब तक 13 बार बढ़ा चुकी है। संसद में केंद्र की मोदी सरकार जातीय जनगणना कराने के मामले में पहले ही साफ मुकर चुकी है।
विकास श्रीवास्तव ने बताया कि पिछड़ों ,अति पिछड़ों व सर्वाधिक पिछड़ों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए गठित जस्टिस राघवेंद्र कमेटी की चार सौ पन्ने की रिपोर्ट को भी मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में ही नकार चुकी है। अति पिछड़ों और दलितों के वोटों से दो बार केंद्र में मोदी जी प्रधानमंत्री हो चुके हैं और उत्तर प्रदेश में योगी जी दूसरी बार मुख्यमंत्री हैं।
बीजेपी तो सपा और बसपा से चार हाथ आगे निकल गई। विगत साढ़े 8 सालों में मोदी सरकार में अतिदलितों और अतिपिछड़ों को उनके सामाजिक आर्थिक अधिकारों से वंचित रखने का षड्यंत्र किया जा रहा है। अब निजीकरण के माध्यम से आरक्षण के पुनीत मकसद को खत्म करने का षड्यंत्र चल रहा है। बीजेपी का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख समेत तमाम बड़े नेता कई बार मीडिया में आरक्षण व्यवस्था की खिलाफत कर चुके हैं।
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कांग्रेस प्रवक्ता ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मायावती को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए कहा दोनों का मकसद प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस को कमजोर कर बीजेपी आरएसएस की पृष्ठभूमि मजबूत करना रहा है। नफरत विघटन की राजनीति और वोटों के ध्रुवीकरण ने बीजेपी को मजबूत किया।
बारी-बारी गैर कांग्रेसी सरकार बनाकर, तीनों दलों ने जनता के लिए, सर्व समाज के लिए बिना कोई व्यापक संघर्ष किए कई बार सत्ता का स्वाद चखा। भाजपा समेत सपा और बसपा ने अपनी सरकार बनाने के बाद पिछड़ों और दलितों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया। इनके झूठ का शिकार सामान्य वर्ग के मतदाता भी लगातार हुआ हैं।