बिहार में दिमागी बुखार व लू से हो रही मौतों के इतर सीएम नीतीश कुमार दिल्ली की पॉलिटिक्स में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने रविवार शाम पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की. जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है.
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नीतीश कुमार न केवल इस मामले पर बोलने से अब तक बचते दिखाई रहे हैं जबकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय इसके लिए नियति को जिम्मेदार बता चुके हैं. उन्होंने एक व्यक्तिगत चैनल से बात करते हुए बोला था कि ‘बच्चों की मृत्यु के लिए न प्रशासन जिम्मेदार है व न ही सरकार. बच्चों की नियति अच्छा नहीं थी. मौसम भी इसके लिए जिम्मेदार है.‘
बिहार में दिमागी बुखार से अब तक 96 से ज्यादा बच्चों की मृत्यु हो चुकी है. रविवार को मुजफ्फरपुर के एसके मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन के सामने ही तीन मासूम बच्चों ने दम तोड़ दिया. जबकि प्रचंड गर्मी से अबतक 44 लोगों की जान जा चुकी है.
सीएम नीतीश कुमार ने दिमागी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजे का एलान किया है. अधिकारियों ने बताया कि मुजफ्फरपुर समेत प्रदेश के 12 जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है. मृतकों में ज्यादातर की आयु 10 साल से कम है. बच्चों के हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर लेवल के बिल्कुल कम होने) व इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के शिकार होने के कारण मृत्यु हो रही है.