क्रायोथेरेपी एक तरह की कोल्ड थेरेपी है, जिसमें शरीर को एक ठंडे सिलेंडरनुमा चैंबर में रखा जाता है। इस प्रक्रिया से शरीर में होने वाले असहनीय दर्द से राहत मिलती है। पहले इस थेरेपी का इस्तेमाल ज्यादातर खिलाड़ी किया करते थे लेकिन समय के साथ अब इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है। क्रायोथेरेपी में शरीर के पूरे हिस्से को ठंडा किया जाता है। जिसकी मदद से दर्द के साथ ही नींद न आने की समस्या, सोराइसिस और माइग्रेन से राहत मिलती है। इस थेरेपी में शरीर की वाहिकाओं के ठंड से सिकुड़ने और बाद में फैलने से नसों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
इस थेरेपी में शरीर को एकदम से ठंडा किया जाता है। जिससे कि शरीर की सारी गर्मी और जलन निकल जाए और खून की नसें सिकुड़ने के बाद धीरे-धीरे फैलें। ये थेरेपी ठीक उसी तरह से है जैसे कहीं पर चोट लग जाने पर शरीर के नीले पड़े हिस्से को हम बर्फ से सेंकते हैं। जिससे राहत मिलती है। क्रायोथेरेपी में एक ठंडे चैंबर में सिर के हिस्से को छोड़कर बाकी शरीर को रखा जाता है। जिसका तापमान करीब माइनस 150 डिग्री सेल्सियस होता है। इस चैंबर को ठंडा करने के लिए तरल नाइट्रोजन का सहारा लिया जाता है। थेरेपी को पूरा करने के लिए करीब 30 सेकेंड से लेकर तीन मिनट तक चैंबर में रहना होता है। चैंबर से बाहर निकलने के बाद थोड़ी सी स्ट्रेंचिंग एक्सरसाइज की जाती है ताकि रक्त का संचार वाहिकाओं में सुचारु रूप से चलने लगे।
दर्द से राहत पाने के लिए बेहतर हैं क्रायोथेरेपी
भले ही ये थेरेपी सुनने में आसान लगे लेकिन इसे करने के पहले काफी सारी सावधानियां रखना जरूरी होता है। क्रायोथेरेपी शुरू करने से पहले किसी तरह के तरल पदार्थ से दूर रहने में ही भलाई है क्योंकि त्चचा पर इसके जमने से ठंड से जलने की संभावना बनी रहती है। इसलिए थेरेपी को शुरू करने से पहले खुद को अच्छी तरह से सुखा लें।
इसके साथ ही अगर किसी को दिल से जुड़ी बीमारी, अस्थमा, हाई या लो ब्लड प्रेशर, बुखार या जख्म हो तो इस थेरेपी से दूर रहने में ही भलाई है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को तो बिल्कुल भी क्रायोथेरेपी नहीं अपनानी चाहिए।अगर किसी को थेरेपी के दौरान हाइपोथर्मिया या कंपकपाहट हो तो फौरन इसे बंद कर देना चाहिए। हमेशा किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही ये थेरेपी करनी चाहिए। सबसे पहले 1970 में पूरे शरीर के लिए क्रायोथेरेपी की शुरूआत की गई थी। इस थेरेपी को आर्थराइटिस के इलाज के लिए ईजाद किया गया था। लेकिन बाद में नब्बे के दशक में ये पूरे यूरोप में मशहूर हो गया और बहुत सारे स्पा सेंटर इस थेरेपी का ऑफर दर्द से राहत देने के लिए देते थे। क्रायोथेरेपी के लोकप्रिय होने का कारण इसके फायदे हैं। कई सारे एथलीट तो ऐसे हैं जो रोजाना इस थेरेपी को लेते हैं। हांलाकि क्रायोथेरेपी का सही ढंग से फायदा लेने के लिए जरूरी है कि इसे रोजाना किया जाए।