अब तक डेबिट और क्रेडिट कार्ड जारी होते ही लोग उसका इस्तेमाल ऑनलाइन लेन-देन के लिए कर सकते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए नियम के मुताबिक़ 16 मार्च, 2020 से ज़ारी होने वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड में ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा डिसेबल (निष्क्रिय) होगी.
ग्राहकों को सुविधा दी जाएगी लेकिन इस सुविधा को उन्हें अनेबल (सक्रिय) कराना होगा.
नए कार्ड में सिर्फ़ दो सुविधाएं पहले से दी जाएंगी – एक एटीएम से पैसे निकालना और दूसरा प्वाइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) डिवाइसेज पर इस्तेमाल करना (जिसे आम भाषा में कार्ड स्वाइप से भुगतान करना कहते हैं)
इसी तरह से अभी तक जिन डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों ने अपने कार्ड का इस्तेमाल किसी ऑनलाइन लेन-देन के लिए नहीं किया है तो उनकी ये सुविधा भी डिसेबल हो जाएगी. उन्हें इसे अनेबल कराना होगा.
ग्राहक अपनी इच्छा से कभी भी ऑनलाइन लेन-देन की सुविधा को चालू या बंद करा सकता है.
जो ग्राहक ऑनलाइन लेन-देन करते रहते हैं उनकी सुविधा चालू रहेगी लेकिन उनके पास इसे जब चाहे बंद कराने और चालू करने का विकल्प मौजूद रहेगा.
लेकिन ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा के लिए ग्राहकों को तीन विकल्प दिए जाएंगे. पहला कार्ड नॉट प्रेजेंट (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) लेने-देन, दूसरा कार्ड प्रेजेंट (अंतरराष्ट्रीय) लेने-देन और तीसरा संपर्क रहित लेनदेन.
कार्डधारक इन सुविधाओं को अनेबल या डिसेबल करा सकते हैं. आप इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स (आईवीआर), एटीएम के ज़रिए 24 x7 ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा को अनेबल या डिसेबल करा सकते हैं. ये सुविधा बैंक शाखाओं / कार्यालयों के स्तर पर भी उपलब्ध कराई जा सकती है.
क्यों बनाया गया नया नियम
आरबीआई ने इसके लिए 15 जनवरी, 2020 को अधिसूचना जारी कर दी थी जो सभी बैंकों पर लागू होगी.
भारत में डेबिट और क्रेडिट कार्डधारकों की संख्या करोड़ों में है जिन्हें ये नियम प्रभावित कर सकता है.
आरबीआई के एक डाटा के मुताबिक 31 मार्च, 2019 तक भारत में 92 करोड़ 50 लाख डेबिट कार्ड और चार करोड़ 70 लाख क्रेडिट कार्ड जारी हो चुके हैं. डेबिट कार्ड के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है.
आरबीआई का डाटा ये भी कहता है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में भुगतान प्रणाली में 25 प्रतिशत हिस्सा डेबिट और क्रेडिट कार्ड का रहा है.