नई दिल्ली। देश के जाने माने राजनीतिक रणनीतिकार, पॉलिसी मेकर एवं समाजसेवी कृष्ण झा ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार करार देते हुए विश्व समुदाय से चीन को अलग थलग कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इसे मानवता के खिलाफ किया गया अक्षम्य अपराध व दुनिया में हुई मौतों का जिम्मेदार ठहराया।
झा ने कहा कि चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को घुटने पर ला दिया है। दुनिया के 195 देशों में इससे संकट जैसी स्थिति पैदा हो गयी है। वायरस ने हजारों किलोमीटर का सफर तय करके दुनिया के कई देशों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। वुहान से हजारों किलोमीटर दूर राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश को कोरोना के कहर से बचाने के लिए लॉकडाउन किया गया है लेकिन आश्चर्य है कि उसी वुहान से महज सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर होते हुए भी चीन के बीजिंग और शंघाई जैसे बड़े शहरों का कोरोना रुख नहीं करता।
विश्व की कई प्रमुख हस्तियां कोरोना की चपेट में आ गई हैं यहां तक कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी कोरोना की गिरफ्त में हैं लेकिन क्या यह अचरज की बात नहीं है कि जिस देश से यह वायरस फैला वहां के राष्ट्रपति न तो इसकी चपेट में आये और न ही सेना का कोई बड़ा अधिकारी।
कृष्ण झा ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोरोना को लेकर चीन का रवैया शुरू से ही बहुत संदिग्ध रहा है। जिस डाक्टर ने इस वायरस के विषय में सर्व प्रथम जानकारी दी, उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। चीन ने विश्व के देशों को इस वायरस के बारे में सही जानकारी भी नहीं दी। चीनी नागरिकों को दूसरे देशों में जाने से रोका भी नहीं। परिणाम सामने है। विश्व के 195 देशों में मौत एवं विनाश का तांडव जारी है।
लॉकडाउन के कारण जो विश्व की आर्थिक व्यवस्था को क्षति पहुंची है, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है। इस स्थिति के लिए पूरी तरह चीन उत्तरदायी है। आर्थिक महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा में अंधा होकर चीन ने इस जैविक हथियार का इस्तेमाल कर विश्व की अर्थव्यवस्था को चौपट करने की साजिश रची है। झा ने कहा कि प्रश्न यह है कि बीजिंग व शंघाई जैसे शहरों में यह वायरस क्यों नहीं फैला, जबकि वुहान से हजारों किलोमीटर दूर सैकड़ों देश इस संक्रमण का शिकार हैं। मानवता के खिलाफ किये गये चीन के इस अपराध के लिए पूरे विश्व समुदाय को मिलकर उसे दंडित करने पर विचार करना होगा।
देश में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कृष्ण झा ने कहा कि अगर पहले ही सरकार सतर्क होती तो यह परिस्थिति नहीं आती। चीन में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबरों के बीच विदेशों से 15 लाख लोग भारत आये। अगर उन्हें उसी समय क्वारंटाइन कर दिया गया होता तो आज यह परिस्थिति खड़ा नहीं होती। बावजूद इसके झा ने कहा कि यह समय गड़े मुर्दे उखाड़ने का नहीं बल्कि संयम और संकल्प के साथ कोरोना को परास्त करने का है। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का अनुसरण करते हुए घरों में रहें।
पॉलिसी मेकर झा ने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो लोगों से हाथ जोड़कर घर में रहने का आग्रह कर रहे हैं। याद रखें कि सावधानी हटी नहीं कि दुर्घटना घटी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से टर्म लोन में दी गई रियायत व वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जारी एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज का स्वागत करते हुए झा ने कहा कि इस राहत पैकेज का लाभ हर उस व्यक्ति तक पहुंचे जिसे इसकी जरूरत है इसके लिए सरकार को एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाये जाने को लेकर विचार करना चाहिए ताकि इस पैसे की बंदरबांट न हो सके।