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Good Friday: मानवता की भलाई के लिए सूली पर चढ़ गए थे यीशु मसीह, जानिए क्यों मनाते हैं

कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी के संकट के बीच आज दुनिया भर में ‘गुड फ्राइडे’ या ‘ग्रेट फ्राइडे’ मनाया जा रहा है. गुड फ्राइडे को विशेष तौर पर ईसाई धर्म के लोग मनाते हैं. आज के दिन प्रभु यीशु मशीह को सूली पर चढ़ाया गया था, उन्हीं की याद में गुड फ्राइडे मनाते हैं.

इसे गुड फ्राइडे इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि मानवता की भलाई के लिए यीशु मसीह ने अपनी जान दे दी थी. इस साल 10 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है. गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च में जाकर यीशु मसीह को याद करते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते आज लोग अपने घरों में ही यीशु मसीह को याद करेंगे.

गुड फ्राइडे शब्द का पवित्र बाइबल में कोई उल्लेख नहीं है, पर बाइबल के अनुसार, सन् 33 ई. में यीशु मसीह ने अपने जीवन का बलिदान दिया था. धार्मिक किताबों में बताया गया है कि यीशु को यहूदा ने धोखा दिया था, जिसके बाद रोमन सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

रोम के शासक पिलातुस ने यीशु की गिरफ्तारी के बाद उन्हें क्रॉस पर नंगे बदन लटकाने का आदेश दिया. उनके हाथों, पैरों और जिस्म के अन्य भागों में कीलें चुभाकर उन्हें क्रॉस पर लटका दिया गया था. कहा जाता है कि जब यीशु को सूली पर चढ़ाकर उनके बदन पर कीलें गाड़ी जा रही थीं तो भी उनके चेहरे पर कोई सिकन नहीं थी.

यीशु मसीह ने जब क्रॉस पर लटके हुए दम तोड़ दिया तो उन्हें क्रब में दफन कर दिया गया था. जिस दिन यह सब हुआ उस दिन फ्राइडे था, इसलिए ईसाई धर्म में आज के दिन को लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं.

यीशु मसीह को कब्र में दफनाने के दो दिन बाद यानी रविवार को वो जीवित हो उठे थे, जिसके बाद मसीही समाज के लोगों ने गुड फ्राइडे के दो दिन बाद यानि रविवार को ईस्टर सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया.

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